*गुरु के पास बैठो,* आँसू आ जाएँ, बस इतना ही काफी है।
चरण छूने की दौड़ नही बस बेठो भर गुरु के पास, याद रहे भविष्य की कोई आकांक्षा ना हो।
मौन प्रार्थना जल्दी पहुँचती हैं गुरु तक क्यों की मुक्त होतीं हैं शब्दों के बोझ से।
*गुरु का होना आशीर्वाद है,* मांगना नहीं पड़ता, गुरु के पास होने से ही सब मिल जाता है।
जैसे फूल के पास जाओ खुशबू, सूर्य के पास गर्माहट व् रौशनी।
*मांगना मत गुरु के पास सिर्फ जाना उसकी शरण में, सब स्वयं ही मिल जायेगा।*