किसी भी धर्म,मजहब,सम्प्रदाय,जाति में मासूम बच्चों,निरीह मूक पशुओं की कुर्बानी से ईश्वर खुदा खुश होता है ऐसा किसी धर्मग्रन्थ में कहीं कोई उल्लेख नही मिलता फिर ये वहशियाना उन्माद और कट्टरवादी सोच आखिर आती कंहा से है ??
जान से प्यारे स्वयं के हों या किसी और के मासूमों की कुर्बानी देने में दिल भी नही कांपता ....ऐसा दुखद निंदनीय कृत्य करने वाला इंसान के रूप में जल्लाद और कसाई से कम नही