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दीक्षा के 50 साल पूरे करने वाले संत विद्यासागर जी महाराज देश के पहले दिगंबर मुनि, रोज सिर्फ 1 बार पीते है पानी, आजीवन नमक भी त्यागा #AcharyaVidyasagar #SharePls

गुरुदेव ने 22 वर्ष की उम्र मे सांसारिक वस्तुओं का त्याग कर दिया था तब से वो दिन मे केवल एक बार भोजन पानी आहार लेते है रोजाना जमीन पर सोने वाले विद्यासागर जी देश भर मे प्रवास पर रहते है प्रवास के दौरान हजारो किमी की यात्रा गुरुदेव नंगे पैर कर चुके है इतना ही पिछले 23 सालो से गुरुदेव शक्कर- नमक और फल का भी त्याग कर दिया है इन सब के बाद भी गुरुदेव मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह फिट है !

रोज पांच घंटे करते हैं आराम औरसिर्फ एक बार करते हैं भोजन... विद्यासागरजी रोजाना सुबह 3 बजे उठ जाते हैं। इसके बाद शिष्यों के साथ स्तुति करते हैं। सामायिक (पाठ)और भक्तों से मिलने के बाद भोजन करते हैं। भोजन में रोटी, चावल और सब्जी शामिल होती है। - भोजन के बाद वे सिर्फ एक बार पानी पीते हैं। आचार्य श्री अपनी अंजुल (दोनों हथेलियों को मिलाने से बना हुआ गड्‌ढा जिसमें भरकर कुछ दिया या लिया जाता है) से भोजन ग्रहण करते हैं। खास बात ये है कि ये भोजन-पानी 24 घंटे के लिए होता है। उनके भोजन में नमक-शक्कर नहीं होता। भोजन के बाद वे बच्चों को शिक्षा देते हैं, फिर आचार्य भक्ति कार्यक्रम होता है।

विद्यासागर से प्रेरित हुआ परिवार...
- विद्यासागरजी का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक के बेलग्राम जिले के सदला ग्राम में हुआ था।
- 22 वर्ष की उम्र में उन्होंने पिच्छि-कमन्डलु धारण कर संसार की समस्त बाह्य वस्तुओं का परित्याग कर दिया था।
- आचार्य श्री के भक्त सुधीर जैन बताते हैं कि धर्म और विद्यासागरजी के संदेश को देशभर में फैलाने के लिए 178 साधु शिष्य हैं।
- विद्यासागर जी से प्रेरित उनकी माता श्रीमती पिता मल्लपा दो छोटे भाई अनंतनाथ व शांतिनाथ और दो बहन सुवर्णा और शांता ने भी दीक्षा ली। आचार्य विद्यासागरजी अब तक देश के शिखरजी बिहार, गिरिनारजी गुजरात, कुंडलपुर, अमरकंटक और रामटेक स्थित तीर्थों में प्रवास कर चुके हैं।