आचार्य श्री जी बिना बताए ही त्याग करते । पूछने पर मौन रहते। कब तक के लिए त्याग किया, कब से त्याग किया, सब अज्ञात रहता है । एक बार जिस वस्तु का त्याग किया, प्रायः उसका ग्रहण करते हुए उन्हें नहीं देखा गया। सवारी, नमक, मीठा, सूखे मेवा, तेल, दूध, चटाई आदि अन्य और भी बहुत कुछ। यहाँ तक कि पहली बार में जो घर छोड़ा, तो छोड़ा।
फरवरी, 2016 से आचार्य श्री जी ने दूध लेना बंद किया। संघ ने अनुमान लगाया, संभवतः शारीरिक दृष्टि से नहीं ले रहे होंगे। कुछ दिन बाद देने का बार-बार प्रयास किया गया, पर आज तक उनके द्वारा दूध का ग्रहण नहीं किया गया।