Ankush Jain vikey's Album: Wall Photos

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*वो एक विदेशी महिला थी जो भारत सिर्फ मनोरंजन के लिये आयी थी और उसने सुन रखा था खजुराहो पर्यटन का बहुत रमणीक स्थान है जो इतिहास में अपनी एक विशेष पहिचान रखता है वहा के मंदिर की दीवारों पर बने आकर्षक भित्ति चित्रों में एक अनूठी कला का प्रत्यारोपण किया गया है जो पाश्चात्य संस्कृति को पसंद करने वाले लोगो को बहुत भाता*
_अपने आठ दिनों के भारत भृमण में उसने दिल्ली से सीधा खजुराहो का सफर तय किया और आगे 2 दिन रुक कर जयपुर अजमेर के पुष्कर आदि के घूमने का इरादा था सो एक गाइड के साथ देखते दिखाते वह शांतिनाथ भगवान के मंदिर को देखने पहुची ही थी कि कही दूर उसे आचार्य भगवंत की झलक दिखाई दी फिर तो जैसे वह दीवानों की तरह आगे पीछे होकर उन्हें देखने का प्रयास करने लगी_
*अब उसे और किसी चित्र को देखने मे मन ही नही लग रहा था वह तो उस जीवंत चित्र को देख कर उसे समझने का प्रयास कर रही थी सो उसने एक नही दो नही पूरे सात दिनों तक का समय वही खजुराहो में बिता दिया जबकि उसके आगे की सारी यात्राओं के टिकिट थे जो उसने निरस्त करा दिए*
_वह लगातार सात दिनों तक सातों पहर आगे पीछे घूमती रही और जिस दिन उसे वापिस जाना था उसके एक दिन पूर्व उसने सरकार में एक आवेदन दिया कि उसे कुछ दिनों ओर रुकने का समय चाहिये क्योंकि वह खजुराहो में आई तो थी घूमने किन्तु आचार्य भगवंत को देखने के बाद उसे लगता है भारत मे इनसे अच्छा और पवित्र संत शायद ही कोई हो जिसे देखा जाए और मन भर जाए_
*उसके बाद क्या हुआ यह मुझे ज्ञात नही किन्तु उसके इस व्यवहार ने मुझे अंदर तक पुलकित किया मुझे स्वयं पर गर्व महसूस होने लगा कि में भी उसी प्रभु की भक्ति में लगा हुआ हूं जिनकी एक झलक पाते ही नास्तिक भी आस्तिक बन कर अपने मन को आनंदित करते है*
_एक ऐसे संत जिनकी अलौकिक छवि ने विदेशियों के मन मे भी हलचल पैदा कर दी है और वे कहने लगे है कि भगवान है और खजुराहो में है_