हमारे देश मे लोग कुछ समय पहले तक खुले में शौच के लिए जाते थे,,,
फिर वही कही से मिट्टी उठाकर उससे हाथ धो लेते थे,आज भी बहुत से लोग ऐसे करते हैं।
फिर किसी विदेशी कंपनी ने हमे बताया कि मिट्टी में कीटाणु होते है जो आपको बीमार कर देंगे,बीमारी से बचने के लिए हमारी साबुन से हाथ धोइये,नहाइये।
विदेशी कंपनी के कहने का इतना प्रभाव हुआ कि हम मिट्टी के गुणों को भूलकर उसमे सिर्फ कीटाणु देखने लगे,मिट्टी से डरने लगे,विदेशी साबुन को हमने ग्रहण कर लिया।
क्योंकि किसी विदेशी ने ऐसा कहा था।
हमे फिर बताया गया कि हमारी कंपनी का टूथपेस्ट नीम युक्त है,
हमने अपने आंगन में खड़े नीम की तरफ एक बार नही देखा और बाजार से वो नीम वाला टूथपेस्ट लेने चल दिये।
क्योंकि किसी विदेशी ने ऐसा कहा था।
हमारे यहाँ मुगल आये,अंग्रेज आये हमने उनका कोई विरोध नही किया,उनको बड़ा अच्छा जाना क्योंकि वो विदेशी थे।
एक कंपनी ने कोरोना की दवाई बनाने का दावा किया,
कंपनी ने कहा कि 200 mg की 103 रुपये की एक गोली है,दिन में 1800 mg अर्थात 9 गोली लेनी पड़ेगी वो भी 14 दिन लगातार।
कुल मिलाकर दवाई के बदले 14 दिन में लगभग 13हजार रुपये आपसे मांगे उन्होंने।
आपने बड़े गुण गाये उस कंपनी के।
फिर बाबा रामदेव ने सामने आकर दावा किया कि 500 डॉक्टरों की रिसर्च टीम लगाकर,सैकड़ो लोगो पर टेस्टिंग करके मात्र 600 रुपये में वो ऐसी दवाई दे रहे हैं जो कोरोना को कंट्रोल करेगी।
होगा तो गरीबों को मुफ्त भी बाटेंगे दवाई।
बस फिर क्या था,
आपको चूल मच गई,
ऐसे कैसे भारत मे कोई कोरोना की दवा बना सकता है वो भी आयुर्वेदिक,
फर्जी बात है ये तो,
बाबा बिजनैसमैन है बस पैसे कमाना चाहता है।
कोई विदेशी कंपनी ऐसा दावा करे तो आप उसे सर आंखों पर बिठाओ,
कोई भारतीय ऐसा दावा कर दे तो आपको पीड़ा।
क्योंकि आपके जीन में गुलामी का कीड़ा कुलबुलाता है,
आपको बड़ा जांच परखने के बाद पूर्वजो ने कहावत लिखी है-'घर का जोगी जोगना,आन गांव का सिद्ध'
'गैरो पे करम अपनो पे सितम' जैसे गाने भी आपको समझकर लिखे गये होंगे।
1200 सालों में गुलामी का पाउडर आपकी नस नस तक पहुंचा दिया गया है,
विदेशियों के सामने नतमस्तक होना तुम्हारे आचरण में बस गया है।