विकास मिश्र पंडित's Album: Wall Photos

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खुली आँखो से ज़मीं पर
आफ़ताब देखा है,

मैंने काली में साड़ी में
महताब देखा है,

एक शराब की बोतल ज़ुल्फें खोल
ले रही थी अंगड़ाई,

मैंने उसके ज़रे ज़र्रे में
शबाब देखा है ।