Parvesh Kumar's Album: Wall Photos

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7.7.2020.
*जीवन जीना कठिन है। जीवन जीना सीखें। समय को उत्तम बनाएं।*
आपने बहुत से लोग ऐसा कहते हुए देखे सुने होंगे कि *आजकल हमारा समय खराब चल रहा है, यह साल तो ऐसे ही जाएगा. अगले साल हमारा समय पलटी खाएगा. तब हमारा भविष्य अच्छा बनेगा.*
कोई कहता है, *दो महीना अभी कुछ नहीं होगा, उसके बाद हमारा उत्तम समय आने वाला है. उसके बाद हमारा भविष्य सुंदर बनेगा.*
इस प्रकार के वाक्यों से ऐसा लगता है कि *जैसे समय ही हमें नियंत्रित करता है. हम समय के आधीन हैं, समय जैसा चाहे वैसा हमको जीना पड़ता है.*
वेदों और ऋषियों की दृष्टि में यह बात ठीक नहीं है। *समय तो जड़ पदार्थ है। वह चेतन आत्माओं को नियंत्रित नहीं कर सकता. जैसे दीवारें जड़ पदार्थ हैं, वे मनुष्य आदि चेतन प्राणियों को निर्देश नहीं कर सकती, कि तुम ऐसा करो और ऐसा मत करो।*,
*इसी प्रकार से समय भी जड़ वस्तु है। वह हमारे किसी काम में बाधा नहीं डाल सकता। न हमारे भविष्य को सुंदर बना सकता है, न बिगाड़ सकता है।*
वास्तविकता तो यह है कि *हम स्वयं चेतन आत्मा हैं। हम अपनी इच्छा और पुरुषार्थ से अपने वर्तमान और भविष्य का निर्माण करते हैं। इसमें कारण हमारा ज्ञान संस्कार बुद्धि का स्तर इच्छा परिश्रम आदि हैं। यदि ये चीजें हमारे पास हैं, तो हम अपने वर्तमान को भी सुंदर बना सकते हैं और भविष्य को भी।*
जीवन में कठिनाइयां तो सभी के सामने आती हैं। यह संसार है ही ऐसा। यहाँ सुविधा एक मिलती है, और कठिनाइयां अनेक। यही संसार का सत्य है। इसी सत्य को समझना है।
*जीवन को अच्छे ढंग से व्यवस्थित रूप से जीने के लिए, समस्याओं से पार होने के लिए, भाग्य या समय के भरोसे न बैठे रहें। अपने आप को बलवान बनाएँ। समस्याओं से संघर्ष करें। अन्यथा आपको बाद में पश्चाताप करना पड़ेगा।*
यह सत्य है कि जीवन जीना कठिन है। परंतु उपाय यही है, कि *समस्याओं को समझें, बुद्धिमत्ता से उनका समाधान ढूंढें। पुरुषार्थ करें। समस्याएं दूर हो जाएंगी। खुशहाली समृद्धि आपको प्राप्त होगी। ऐसे ही समय को उत्तम बनाना पड़ेगा। कोई उत्तम समय आपकी प्रतीक्षा नहीं कर रहा, जो स्वयं आकर आपका स्वागत करेगा।*
- *स्वामी विवेकानंद परिव्राजक*