महाभारत तो तभी होगा जब जीतने की शतप्रतिशत आश्वस्ति हो और हृदय की दुर्बलता न हो।
मरने मारने की घड़ी जब आती है तब बडे-बडे योद्धा का ज्ञान उदित हो जाता है कि हिंसा अहिंसा का विचार करने लगते हैं।
एक महात्मा योद्धा ने कहा देश का बटवारा "मेरी लाश" पर होगा।
अब "सेवक" तो योद्धा होते नहीं हैं, वह तो स्वयं घोषित "सेवक" हैं।
यदि उनसे योद्धा होने की अपेक्षा की जाये तो दोष प्रमाद किसका है? उचित तो यही है कि अपेक्षा करने वाले अपने दोष प्रमाद को स्वीकार कर भूल सूधार करें।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार जिस कार्य के लिए चुनें, उस कार्य से सरकार को तिल भर भी आगे पीछे न होने दे यह जिम्मेदारी मतदान कर चुनाव करने वाली जनता का है।
चोर डाकू लूटेरे कोई योद्धा नहीं होते हैं यद्यपि सस्त्र धारी जरूर होते हैं।
यदि किसी योद्धा को लूटने का प्रयास करते हैं, तो मारे जाते हैं या भगोड़े बन जाते हैं।
जब बहुत काल तक समाज योद्धा निर्माण करना बंद कर देता है तब वह समाज पराजित अपमानित होता रहता है। समाज को किसी पर निर्भर नहीं रह कर स्वयं की रक्षा के लिए व्यवस्था के लिए योद्धा निर्माण करते रहना चाहिए।
योद्धा का अर्थ सैनिक ही नहीं होता है। योद्धा का व्यापक अर्थ है।