कहना नहीं चाहता किन्तु अगर यही किसी और जाति का होता तो लोकतंत्र डगमगा गया होता अबतक।।
विकाश दुबे किसी आतंकवादी से कम नहीं है परंतु जब वो मिल गया तो छोटे बच्चे और बीवी के साथ ऐसा कार्य क्यों किया गया है
अपराधी को पकड़ने में तो नानी याद आ गई लेकिन उसकी पत्नी और बेटे को घुटने के बल बिठाकर ऐसे फ़ोटो खींच रहे हैं जैसे राष्ट्रपति भवन में सम्मानित किया जाएगा।