Subhash Kumar Saw's Album: Wall Photos

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जब 1998 में #अटल_बिहारी_वाजपेई के नेतृत्व वाली भारत सरकार ने पोखरण में न्यूक्लियर टेस्ट किए, उस समय साउथ अफ्रीका में बैठे इंडियन एंबेसडर #लक्ष्मीचन्द_जैन ने अपनी ही सरकार और अपने ही प्रधानमंत्री के इस निर्णय का खुलकर विरोध किया था,

जरा कल्पना कर परिस्थिति का अनुमान लगाइए कि साउथ अफ्रीका में बैठे भारत सरकार के अधिकारिक प्रतिनिधि ने सार्वजनिक रूप से अपने ही देश और सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया और भारत के शत्रुओं के सुर में सुर मिलाकर अपने प्रधानमंत्री और तत्कालीन सरकार की आलोचना करने लगा।

उस समय डरबन समिट में दक्षिण अफ्रीका खुलकर भारत विरोधी प्रोपेगेंडा प्रचारित प्रसारित करने में लगा हुआ था, और दक्षिण अफ्रीका निर्भीक व निडर होकर ऐसा इसलिए कर पा रहा था क्योंकि उसको भारत सरकार के विरुद्ध भारत सरकार के ही आधिकारिक प्रतिनिधि भारत के अंबेसडर लक्ष्मीचंद जैन का पूरा सहयोग और समर्थन प्राप्त था।

भारतीय इंटेलिजेंस ने तुरंत अटल बिहारी वाजपेई को इस डिवेलप होती परिस्थिति से अवगत कराया और अटल बिहारी वाजपेई ने दक्षिण अफ्रीका से संवाद स्थापित कर वो पूरा डेवलपमेंट रुकवाया, साथ ही अंबेसडर लक्ष्मीचंद जैन को तत्काल भारत वापस बुलाया गया,

परंतु अंबेसडर लक्ष्मीचंद जैन ने सरकारी निर्देश की अवहेलना की और धुर्तता का परिचय देते हुए बेशर्मी से वहीं दक्षिण अफ्रीका में तब तक पड़े रहे जब तक सरकार ने उन्हें परसोना नोंन ग्राटा यानी अवांछित व्यक्ति घोषित नहीं कर दिया,

भारत वापस आने के बाद लक्ष्मीचंद जैन ने 10 जनपथ के दरबार में हाजिरी लगाई और वर्ष 2011 में लक्ष्मीचंद जैन को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1998 में वाजपेयी नीत भारत सरकार के आदेश की अवहेलना, विदेश में रहकर भारत सरकार को अपमानित करना, ऑन ड्यूटी रहते हुए सरकारी आदेश ना मानना और विदेशी मीडिया के सामने भारत विरोधी बयान देकर भारत की छवि खराब करने और अपने ही देश के विरुद्ध मोर्चा खोलने के पुरस्कार के रुप में कांग्रेस द्वारा लक्ष्मी चंद जैन को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान #पद्म_विभूषण से सम्मानित किया गया।

क्या आप जानना चाहेंगे कि इन लक्ष्मीचंद जैन का पुत्र कौन है ?

उत्तर है, NDTV का प्रमुख पत्रकार #श्रीनिवासन_जैन,
जी हां वही श्रीनिवासन जैन जो रवीश कुमार और प्रणय रॉय की तिकड़ी का एक अभिन्न अंग है और निरंतर महत्वपूर्ण विषयों पर भारत विरोधी स्टैंड लेने और राष्ट्रहित के विरुद्ध बात करने के लिए प्रसिद्ध है, यह वही श्रीनिवासन जैन है जिसने कांग्रेस सरकार के समय भारतीय सेना के कब्जे वाले सियाचिन को पाकिस्तान को देने हेतु एनडीटीवी के सभी प्लेटफार्म पर एक सुनियोजित कैंपेन लांच कर दिया था, निरंतर सियाचिन के विषय में स्टोरीयां चलाई जाती थी लेख लिखे जाते थे जिनका मूल सार यह होता था कि 'सियाचिन का कोई महत्व नहीं है, वहां तो मात्र बर्फ है और सियाचिन को भारत के कब्जे में रखने हेतु बहुत पैसा और रिसोर्सेस खर्च होती हैं, और सियाचिन को भारतीय सेना मात्र अपनी जिद अभिमान और प्राइज़्ड ट्रॉफी दिखाने मात्र के लिए इसपर सरकारी पैसा लुटा रही है, जबकि यह पैसा किसी अन्य महत्वपूर्ण कार्य के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है, इसीलिये सियाचिन को पाकिस्तान को ही दे देना चाहिए,'

इस विषय पर मनमोहन सिंह ने तो कदम भी आगे बढ़ा दिए थे परंतु तत्कालीन सेना प्रमुख वीके सिंह के कड़े विरोध के बाद कांग्रेस सरकार को अपने कदम वापस खींचने पड़े थे,

वैसे आपको बता दें कि जब श्रीनिवासन जैन के पिता लक्ष्मीचंद जैन के कुकर्मों की रिपोर्ट एक कॉलमिस्ट व् पत्रकार राजीव मानरी ने अटल बिहारी वाजपेई की सरकार तक पहुंचाई तो इन्हीं श्रीनिवासन जैन ने जो आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की दुहाई देते फिर रहे हैं ने उस वरिष्ठ पत्रकार को डराया धमकाया गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी, साथ ही उनके साथ धक्का-मुक्की तक की थी।