आर्य सतानंद 's Album: Wall Photos

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#अनेकता_में_एकता

2 व्यक्ति थे।

एक राम भक्त था, दूसरा मोहम्मद भक्त ।

पहला सुबह उठकर पूजा आरती करने लगता जब कि दूसरा नमाज पढ़ता था ।।

पहला स्त्री सम्मान करता था तो दूसरा स्त्री को निर्जीव वस्तु समझता ।।

पहला एक पत्नीव्रत पुरुष था तो दूसरे के पास कई बीबियाँ थीं ।।

पहला गौ रक्षक था तो दूसरा गौ भक्षक था ।।

पहला किसी को भी मारना पाप समझता था तो दूसरा काफिर को मारना पुण्य कार्य समझता था और क्या क्या बताएँ, कुछ भी नहीं मिलता था दोनों का ।।

आपको इन दोनों की अनेकता में कोई एकता दिखाई दी ? मुझे तो नहीं दिखाई देती जब इन दो ही व्यक्ति में एकता नहीं दिखाई देती, फिर आपको पूरे भारत के व्यक्तियों की अनेकता में एकता कैसे दिखाई देती है ?

जहाँ हर व्यक्ति के इष्टदेव पृथक-पृथक हों किसी का भगवान कैलाश पर्वत पर, किसी का क्षीर सागर में, किसी का गॉड चौथे आसमान पर, किसी का अल्लाह सातवें आसमान पर ।।

सभी स्वयं को अलग-अलग जाति के मानते हों, जहां के निवासी स्वयं को भारतीय कहकर परिचय देना भी न जानते हों ।।

कोई अंग्रेजी, कोई गुजराती, कोई मराठी, कोई राजस्थानी, कोई उर्दू बोलता हो, ऐसे अनेकता में आपको एकता कहाँ से दिख जाती है ?

"अनेकता में एकता" मूर्ख बुद्धि की उपज है, जब कुछ मेल ही नहीं तो एकता कैसी ?

इसलिए महर्षि दयानंद जी ने कहा है- एक ईश्वर आराधना, वैदिक धर्म की स्थापना और एक भाषा देश की उन्नति के लिए आवश्यक है ।।

और अंतिम निवेदन अनेकता में एकता कहने वालों से कि अब भी वक्त है,सुधर जाओ अन्यथा भविष्य में तुम्हारा नाम लेवा भी कोई नही मिलेगा ।।

साभार - आर्य निर्मात्री सभा
जय आर्य जय आर्यावर्त्त