राजनीति और कट्टरता के कॉकटेल से कभी-कभी देश उस चौराहे पर पहुँच जाता है, जब आगे कोई रास्ता नहीं सूझता। जो भी रास्ता चुनता है, वह गड्ढे में ही ले जाता है। 1984 का वह लम्हा ऐसा ही एक लम्हा था... यहां से ब्लू स्टार की कहानी शुरू होती है। इस किताब को पढ़ना एक बेहतरीन अनुभव है। लोटस सीरीज की यह दूसरी क़िस्त है। पहली किस्त लाजवाब थी। यह भी बेमिसाल है। जो भी Praveen Jha जी को पढ़ते हैं उन्हें बताने की जरूरत नहीं कि वे कैसा लिखते हैं। यहां भी उन्होंने बेहतरीन ईमानदारी बरती है। सवा घंटे में खत्म हो जाने वाली इस किताब में कई पल ऐसे हैं जहां आपकी सांसें थम जाती हैं। चूंकि कई चीजें ऑपरेशन ब्लू स्टार के बारे में पाठक को पहले से मालूम हैं बावजूद सिलसिलेवार ढंग से कही गईं बातें कौतूहल पैदा करती हैं। लेखक के पास कहानियों की जादुई पोटली है। जब चाहे किंडल पर एक किताब रिलीज कर देते हैं। ऐसे में उम्मीद रखिये कि तीसरी क़िस्त भी जल्द रूबरू हो जाये।