Raj Singh's Album: Wall Photos

Photo 78 of 153 in Wall Photos

#Freedom_of_expression -
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सभी समाज पुरुष प्रधान हैं, लिहाज़ा उन्होंने महिला विरोधी क़ानून ही बनाए। यहां तक कि मर्दों ने ये भी तय कर दिया कि औरतें क्या लिबास पहनें,लेकिन अब औरतें अपनी आज़ादी के लिए आवाज़ उठा रही हैं, इस कड़ी में एक नई मुहिम छिड़ी है, 'नो ब्रा मूवमेंट'।

कुछ दिन पहले दक्षिण कोरिया में हैशटैग #NoBra नाम की मुहिम सोशल मीडिया पर ख़ूब सुर्खियां बटोर रही थी ।महिलाएं बिना ब्रा के कपड़े पहनकर अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रही हैं। दक्षिण कोरिया की महिलाएं इन दिनों अपनी ऐसी तस्वीरें ऑनलाइन शेयर कर रही हैं, जिसमें उन्होंने ब्रा नहीं पहन रखी होती है। #NoBra हैशटैग बहुत बड़ा सोशल मीडिया अभियान बन गया था / है । इसकी शुरुआत, दक्षिण कोरिया की गायिका और अभिनेत्री सुली के अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर बग़ैर ब्रा वाली तस्वीर शेयर करने से हुई थी ।

तो हुआ कुछ यूं कि अभी हाल ही में एक महिला मित्र ने मुझे जब पुरुष प्रधान समाज का आईना दिखाते हुए ;मुझे शोषक बनाकर किसी अपराधी की तरह कटघरे में खड़ा कर दिया, तो मैं भी सोचने पर मजबूर हो गया कि क्या वाकई ऐसा है या ये भी छद्म नारीवाद है जिसका एकमेव उद्देश्य है परिवारिक विघटन !!!!!!

बहरखैर -
हे नारीवादी महिलाओं/ पुरुषों ! मर्दानगी और सशक्तिकरण में अंतर है और महिलाएं सशक्त पूज्यनीय भी हैं और आदरणीय भी , महिलाएं मर्दाना अच्छी नहीं लगती , और रही बात फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन की तो बहुत पहले से भारत वर्ष में महिलाओं को बहुत आजादी थी, इतनी की उन्हें परिधानों के चुनाव की स्वतंत्रता थी , चलिए एक उदाहरण देते हैं -
चित्र में दुल्हन दुल्हा की एक कलाकृति है ,जिसमें दुल्हन को दूल्हा दही खिला रहा है आज भी आज ये परम्परा चलन में है । वस्त्र देखिए .....आपको फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन का मतलब पता लग ही जायेगा । यह मूर्ति नेशनल म्यूजियम दिल्ली में है ।

#विशेष - सनातन धर्म दुनिया का इकलौता धर्म है, जिसने ईश्वर को स्त्री रुप(ऋगवेद दशम मंडल नासदीय सूक्त) में स्वीकार किया है,अन्यथा दुनिया की दूसरी संस्कृतियों में ईश्वर को शैतान के बहकावे में आने वाला या नर्क का द्वार बताकर दोयम दर्जे का नागरिक ही बताया गया है। कभी बुरके और बिच हंटिंग पर भी ज्ञान दीजिये ।।

अजेस्ट त्रिपाठी