ताकि वह पीछे न हट पाये...
जैसे की प्रधानमंत्री लेह पहुँच गए !
तो ये भारत चीन के बीच का जो मामला चल रहा है बहुत से लोगों को आइडिया भी नहीं है के ये खेल क्या है..?
इसको समझने की एक कोशिश करते हैं।
आपने देखा होगा की कोंग्रेसी कहते रहते हैं कि
चीन अंदर घुस आया
चीन अंदर घुस आया...
और सरकार कहती है कि नहीं घुसा है।
फिर भी आपने बहुत से समझदार लोगों को यही कहते सुना होगा की चीन अंदर ही आया हुआ है।
यह सब भाषा की वजह से कनफ्यूज़ होते हैं, लेकिन सच तो यही है की चीन उस क्षेत्र में घुसा हुआ है जो की बफर ज़ोन है... । यानी कि #नो_मैंस_जोन
याने जो बीच में खाली छोड़ा जाता है।
और वह ज़रूरत से ज़्यादा घुसा हुआ है.।
तो एक तरह से वह भले भारत की क्लीयर क्लीयर सीमा में नहीं है,याने हमारी कोई पोस्ट उनके कब्जे में नहीं है, लेकिन बफर ज़ोन में वह कुंडली मारे बैठा ज़रूर है।
लेकिन इसका असल सच ये है की भारत ने उसे वहाँ फंसा लिया है।
भारत ने उसे दाना ड़ाल के अपने जाल में फंसाया है, और अब न आगे बढ़ने देगा न पीछे हटने दे रहा है।
लेकिन क्यों?
तो जनाब इसके लिए आपको भारत की चाणक्य नीति समझनी होगी।
जो दिखाई देता है वह असल में होता नहीं है और जो होता है वह असल में दिखाई नहीं देता है।
असल में ये है की हमारे प्रिय पूर्व प्रधानमंत्री सरदारजी चुप्पी सिंह जी के समय में बहुत सारे कांड हुए हैं,जिसकी वजह भी ये कॉंग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच का करार ही था जो देखने में कांड जैसे नहीं लगते हैं लेकिन समझने में लगते हैं।
इसकी वजह से चीनी कंपनियाँ भारत में आईं। चीनी सरकार इनको सबसिडी देती रही, जिसकी वजह से उनके सामान हमारे यहाँ लागत से भी सस्ते पड़ने लगे तो हमारे लघु उद्योग अगर लागत पर भी बेचें तब भी चीन से सस्ता न दे पाएँ इसकी वजह से सब घरेलू उत्पादन बंद हो गए, एकदम ठप्प।
इस सब में हमारे देश को 30 लाख करोड़ का घाटा हुआ है और चीन को समझिए की इस से भी ज़्यादा फायदा तो यह कॉंग्रेस चीनी पार्टी घोटालेबाजी असल में 30 लाख करोड़ की है।
अब इन चीनी सब कंपनियों को भारत कैसे भगाये?
चूंकि
WTO के सदस्य होने के नाते भारत ऐसे ही तो इन से व्यापार बंद नहीं कर सकता, न ही प्रतिबंध लगा सकता। लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा होने पर सब हो जाता है। इसलिए भारत ने यहाँ ऐसे ऐसे बयान देना शुरू किया जिस से की चीन भड़के।
आपको अमित शाह का संसद में वह बयान याद होगा जिसमें उन्होंने खूब ज़ोर से कहा था की जान दे देंगे, लेकिन अपनी ज़मीन नहीं देंगे... ।
और जिसमें POK के साथ साथ अकसाई चिन का भी ज़िक्र किया था।
बस तभी से चीन को अकसाई चिन जाने का ड़र सता रहा है ।
साथ ही गिलगित बाल्टिस्तान में तो चीन की जान फंसी हुई है क्यूंकी उसके बिना तो उसकी वन बेल्ट वन रोड ही फंस जाएगी...
जिस पर चीन अरबों डॉलर लगा ही चुका है...।
तो चीन ने अंदर आना ही था,लेकिन वह इस बात के लिए तैयार नहीं था की भारत ऐसी प्रतिक्रिया देगा और बात लड़ाई तक आ जाएगी... ।
बार्डर पर सैनिक भिड़ गए और दोनों तरफ के सैनिक मरे।
बस यहीं से मामला राष्ट्रीय सुरक्षा का बन गया और अब इस राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे को बीच में ला कर भारत धड़ाधड़ चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाये जा रहा है... ।
वह इसे ऐसे ही नहीं कर सकता था लेकिन अब कर सकता है... ।
इसलिए जैसे ही चीन पीछे हटने की भी कोशिश करता है तो भारत उसे फिर से चुनौती दे देता है।
अभी हटने भी नहीं दे रहा बस यही जिद की भाई अभी हमने सब चीनी कंपनियों का इलाज नहीं किया था, तुम कहाँ चले... ?
लड़ाई एक अलग मसला है लेकिन पहले भारत चीन की रीढ़ पर प्रहार करेगा, जैसे पाकिस्तान की तोड़ी है वैसे चीन की पूरी तरह तो नहीं तोड़ सकता लेकिन उसे कमजोर और खुद को सशक्त तो ज़रूर कर सकता है।
युद्ध तो किसी के भी हक़ में नहीं,इसलिए बड़े स्तर का युद्ध न भारत करेगा और न चीन कम से कम फिलहाल नहीं करेगा लेकिन होने को कुछ भी कभी भी हो जाये वो अलग बात है।
सीमा पर चीन के हालत सांप छछूंदर जैसी हो गई है। टेंशन बनाए रखना अब भारत के और विश्व के हक़ में है और भारत यही कर रहा है।
चीन की रीढ़ पर भारत अपने हिस्से का प्रहार कर रहा है। बाकी विश्व अपने हिस्से का करेगा।
साभार
सौजन्य : भाई प्रमोद शुक्ल की वाल.