Sachin Singh Chouhan's Album: Wall Photos

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Ram Ram ji,(( क्रोध-रूपी पिशाच ))))
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एक बार श्री कृष्ण बलदेव
एवं सात्यकि रात्रि के समय
रास्ता भटक गये !
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सघन वन था ;न आगे राह
सूझती थी न पीछे लौट
सकते थे !
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निर्णय हुआ कि घोड़ो को
बांध कर यही रात्रि में
विश्राम किया जाय !
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तय हुआ कि तीनो बारी-
बारी जाग कर पहरा देंगे !
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सबसे पहले सात्यकि जागे
बाकी दोनो सो गये !
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एक पिशाच पेड़ से उतरा
और सात्यकि को मल्ल-
युद्ध के लिए ललकारने
लगा !
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पिशाच की ललकार सुन
कर सात्यकि अत्यंत क्रोधित
हो गये !
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दोनो में मल्लयुद्ध होने लगा !
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जैसे -जैसे पिशाच क्रोध
करता सात्यकि दुगने क्रोध
से लड़ने लगते !
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सात्यकि जितना अधिक
क्रोध करते उतना ही पिशाच
का आकार बढ़ता जाता !
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मल्ल-युद्ध में सात्यकि को
बहुत चोटें आईं !
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एक प्रहर बीत गया अब
बलदेव जागे !
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सात्यकि ने उन्हें कुछ न
बताया और सो गये !
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बलदेव को भी पिशाच की
ललकार सुनाई दी !
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बलदेव क्रोध-पूर्वक पिशाच
से भिड़ गये !
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लड़ते हुए एक प्रहर बीत
गया उनका भी सात्यकि
जैसा हाल हुआ !
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अब श्री कृष्ण के जागने
की बारी थी !
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बलदेव ने भी उन्हें कुछ न
बताया एवं सो गये !
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श्री कृष्ण के सामने भी
पिशाच की चुनौती आई !
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पिशाच जितने अधिक क्रोध
में श्री कृष्ण को संबोधित
करता श्री कृष्ण उतने ही
शांत- भाव से मुस्करा देते ;
पिशाच का आकार
घटता जाता !
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अंत में वह एक कीड़े जितना
रह गया जिसे श्री कृष्ण ने
अपने पटुके के छोर में
बांध लिया !
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प्रात:काल सात्यकि व बलदेव
ने अपनी दुर्गति की कहानी
श्री कृष्ण को सुनाई तो श्री
कृष्ण ने मुस्करा कर उस
कीड़े को दिखाते हुए कहा -
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यही है वह क्रोध- रूपी
पिशाच जितना तुम क्रोध
करते थे इसका आकार
उतना ही बढ़ता जाता था !
.
पर जब मैंने इसके क्रोध का
प्रतिकार क्रोध से न देकर तो
शांत-भाव से दिया तो यह
हतोत्साहित हो कर दुर्बल
और छोटा हो गया !
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अतः क्रोध पर विजय पाने
के लिये संयम से काम ले !
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(((((( जय जय श्री राधे ))))))
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