ये जो तुम्हारे हृदय की अमरबेल नस है
वह पहले प्रेम की स्मृति की तरह
ताउम्र हरी रहती है।
वो जो समय का सूखता वृक्ष है
उसपर लगे हुए निशान की तरह
मन पर लगा हुआ घाव हरा ही रहता है।
हरा हारे हुए प्रेम का राग है
हरा इस देह की पीड़ा का रंग है
हरा दुःख की कराह में निकलने वाली ध्वनि है।
हरा उस अंधे का सुख है
जिसकी कहानी में बाग है-बारिश है-बहार है।
हरा उस प्रेमी को लगी हुई आह है
जिसने अपने स्वप्न में वादा तोड़ दिया था।
हरा हृदय पर पड़ी हुई चोट का
कभी न भरने वाला श्राप है।