#सर्प_2
इंडिया में प्रत्येक वर्ष साँप काटने से 20 से 25 हजार लोग मर जाते हैं। क्यों? जबकि सांप काटने की दवा है....फिर ऐसा क्यों होता है?
पिछले वर्ष मेरे एक मित्र की माता जी का असामयिक देहावसान हो गया। किसी विषैले सर्प ने काट लिया। जबकि उनकी वेल एजुकेटेड फैमिली है, रुपया-पैसा, अच्छे से अच्छे अस्पताल में इलाज कराने का माद्दा सबकुछ था, फिर भी डेथ...।
कारण है हमारी सोच..सांपों के प्रति भ्रांति...सर्प विष के प्रति अज्ञानता...जानकारी का अभाव...ओझा-गुनी, झाड़-फूंक और जड़ी बूटी पर विसंगत विश्वास।
कई लोग आपको उदाहरण देकर बताएंगे कि उन्होंने आंखों देखा है, फलाने को सांप ने काटा और झाड़-फूंक और जड़ी से बच गया। ये सच भी है। लोग सांप काटने से इन विधि से बच भी जाते हैं। पर इसकी असल वजह क्या आपको पता है।
असल मे क्या होता है कि उन्हें विषैले सांप ने काटा ही नहीं होता है। ज्यादतर लोग विषहीन सांप को भी विषैला बताते हैं क्योंकि उनको पहचान नहीं होती। और फिर कहते हैं कि मैं तो ओझा के पास जा कर बच गया।
कुछ लोग स्पेक्टल कोबरा मतलब नाग जिसे गेहुअन भी कहते हैं या वाईपर के काटने से भी बच जाते हैं। पर उसका कारण ओझा या जड़ी बूटी नहीं। बल्कि false bite है। विषैले सर्प कई बार अपने शत्रु को सिर्फ डराने के लिए काटते हैं। तब वे जहर नहीं छोड़ते। इसे false bite कहते हैं। ऐसा आदमी ओझा के पास न भी गया होता तो बच जाता। या अगर सर्प ने जहर की मात्रा कम छोड़ी हो तब भी आदमी बच जाता है।
पर याद रहे, अगर विषैले सर्प ने जहर छोड़ दिया है और व्यक्ति हॉस्पिटल के बजाय किसी बैद्य, ओझा, जड़ी के पास गया, तो उसकी मृत्यु निश्चित है। वह कहावत है न, "नाग काटे दाब से, छूटे न वैद्य के बाप से।" मतलब विषैले सांप ने दबा के काट दिया, जहर छोड़ने की नीयत से काट दिया, फिर कोई वैद्य इलाज नहीं कर सकता। ऐसी स्थिति में एक मात्र उपाय anti-venom है जो सिर्फ हॉस्पिटल में मिलेगा। अब यह व्यक्ति के ऊपर है कि कितनी जल्दी वह हॉस्पिटल पहुंचता है। ऐसे भी समझें, सामान्य तर्क की बात है कि जब कोई जहर पी ले तो उसे हम हॉस्पिटल ले जाते हैं, यहां तो जहर सीधे आदमी के खून में इंजेक्ट हुआ है, फिर उसे वैद्य-ओझा के पास क्यों?
(आगे भी लिखता रहूंगा। जुड़े रहिये। गर्मी और बरसात सांपों के सक्रिय होने का मौसम है, अतः जागरूकता आवश्यक है। पोस्ट शेयर के लिए पूछने की आवश्यकता नहीं है।)