अगर आप विकास दुबे और अमिताभ बच्चन से संबंधित समाचारों से 10 मिनट के लिए फुर्सत पालें तो मैं कुछ बताना चाहता हूं : तपन दा नहीं रहे
कौन तपन दा?
तपन घोष , बंगाल ।
वे क्या थे ? एम पी, एम एल ए, सरपंच, क्रिकेटर , फिल्म कलाकार?
नहीं भाई ,वे बंगाल के हिंदूवादी संगठन सहामति के नेता थे।
47 साल तक हिंदूओं के लिए लड़े ।
30 साल वामपंथियों से फिर ममता बनर्जी से।
वे दुर्गा पूजा पर लगाई गई रोक पर अकेले सरकार से भिड़ गए।
रामनवमी की जुलूस में उन्हें पीटा गया
रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के खिलाफ वे जब मुखर हुए तब उन्हें जेल में बंद कर दिया गया
RSS के कार्यकर्ता की हत्या हुई तो तपन दा वहां पहुंच गए
मुर्शिदाबाद में बंधु पाल की हत्या पर उन्होंने अकेले बंद कराया
वह रामनामी दुपट्टा ओढ़े हुए बेखौफ मस्जिद के सामने खड़े हो जाते थे कि आप नमाज पढ़िए लेकिन भारत के बारे में प्रोपगंडा मत करिए
विपरीत परिस्थितियों में रहकर भी विचारधारा के लिए, अपने लोगों के लिए समर्पित भाव से निडर होकर काम करने वाले, लड़ने वाले का बीच सँघर्ष में यूँ चले जाना, वाकई दुःख होता है मानो किसी अपने को खो दिया.....
महाप्रस्थान से पहले किसी और को अपना धनुष सौंप जाते, श्रद्धेय.....