हिंदू जागो
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सोच बदल दो, लोग कह रहे हैं कि कहिं तलवार के बल पर जाहिलो का धर्म का विकास नहीं हुवा हैं.
गजब
जैसे लग रहा रहा हैं कि गाजी से लेकर शरीफ़ तक को आमंत्रित करके जाहिलो का धर्म को बसाया गया है, जिसको जानकारी नहीं होता है वह अपनी तुलना ही आक्सफ़ोर्ड से करने की सोचता हैं.
जबकि जाहिलो का एक ही नारा है "अल्लाह को हैं कुर्बानी प्यारी "
अब बात करे मुगल साम्राज्य की जो खुद लुटेरे थे जिसका अस्तित्व ही रुस के एक छोटा सा राज्य सा जिसके मार्ग पर चलने का मतलब था मौत क्यूकि मुगल लुटेरे थे. अब बोलते है अकबर महान था.
वह कहते हैं कि हर शब्दों में इंशाअल्लाह बोले.
लेकिन हम हर शब्दों में जय श्री राम बोलेगे तो साम्प्रादायिकता के श्रेणी में शामिल हों जाते हैं
हिंदू गरज के बोले कि हम हिंदू हैं और हिंदुस्तान हमारा हैं