क्या आपने सोचा एक साल पहले राफेल को मुद्दा बनाकर बेहद आक्रामक हुए कांग्रेस, सपा सहित तमाम विपक्षी दल और गांधी परिवार के वफादार कई मीडिया जैसे द हिंदू, द क्विंट, एनडीटीवी इत्यादि अब खामोश क्यों हो गए??
दरअसल इन्हें चीन और पाकिस्तान की तरफ से उस वक़्त सुपारी दी गई थी कि भारत में राफेल विमान ना आने पाए और किसी भी तरह से राफेल विमान को अदालती पचड़े में फंसा कर लटका दिया जाए ।
सबको पता है कि राफेल इस वक्त सबसे उन्नत किस्म का लड़ाकू विमान है, जिसका कोई भी काट इस वक्त चीन और पाकिस्तान के पास नहीं है । चीन के पास अपना खुद का विमान J17 और J25 है, जो राफेल से बहुत पीछे है । इसलिए चीन और पाकिस्तान ने कांग्रेस पार्टी सहित भारत की तमाम विपक्षी दलों और कुछ मीडिया हाउस को पैसे देकर यह पूरी प्लानिंग रची थी ।
लेकिन वह तो अच्छा था कि उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने राफेल की सुनवाई बहुत जल्दी की और हर रोज सुनवाई की, ताकि बहुत जल्द यह मामला सुलझ जाए।
कोर्ट में सारे दस्तावेज मंगाए गए, कांग्रेस पार्टी के तरफ से भी दस्तावेज पेश किए गए और कांग्रेस सरकार के समय राफेल ने जो भाव कोट किए थे वह भी दिखाए गए । आपको जानकर आश्चर्य होगा कि तत्कालीन मुख्यन्यायाधीश ने अपने आदेश में एक टिप्पणी की थी कि "मुझे दुख है कि इतने बड़े वकील कपिल सिब्बल साहब एक बेसिक बात यह नहीं समझ पाए कि राफेल विमान एक विमान है, लेकिन उसे आप अलग-अलग कुल 12 स्पेसिफिकेशन में खरीद सकते हैं । जैसे मान लीजिए कि हम कार खरीदने जाते हैं तो कार के दुकानदार हमें कार का रेट देता है लेकिन फिर जब हम बताते हैं कि हमें यह चीजें एक्स्ट्रा चाहिए तब उस एक्स्ट्रा चीज की कीमत उसमे जोड़ दी जाती है और कार की कीमत बढ़ जाती हैं । जैसे-जैसे एक्स्ट्रा चीज उसमे जुड़ती जाती हैं, उस कर की कीमत भी बढ़ता जाता है "।
कांग्रेस पार्टी और गाँधी परिवार के कुछ वफादार मीडिया ने राफेल को लेकर खूब प्रोपोगंडा और झूठ फैलाया, लेकिन उन्होंने कभी भी देश को यह नहीं बताया कि मोदी सरकार जो राफेल खरीद रही है उसमें कई चीजें एक्स्ट्रा जोड़ी गई हैं जो मनमोहन सरकार के समय नहीं जोड़ी गई थी । अंत में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल डील पर डाली गई सभी याचिकाओं का यह कहते हुए निरस्त कर दिया यह सारी याचिकाएं राजनीति से प्रेरित है ।
सबसे मजेदार बात यह कोटेशन एक बंद लिफाफे में था, देश के रक्षा मंत्री, वायुसेना अध्यक्ष और कुछ अन्य लोगों के अलावा किसी को यह नहीं पता था कि राफेल किस रेट में आ रहा है । दरअसल यह फ्रांस और भारत के बीच में समझौता था कि भारत सरकार राफेल की कीमत का खुलासा नहीं करेगी, लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट में बंद लिफाफों में दस्तावेज मंगाए गए तब यह देश को पता चला कि मनमोहन सरकार के समय में राफेल की जो कीमत थी, मोदी सरकार के समय में फ्रांस सरकार ने लगभग 20% का डिस्काउंट दिया था । यानी मोदी सरकार में बहुत सारे नए फीचर्स राफेल में जोड़े जाने के बाद भी मनमोहन सरकार से 20% सस्ती कीमत पर मोदी सरकार में डील फाइनल हुआ ।
इसका साफ मतलब है कि मनमोहन सिंह के समय में कोई ऐसा दलाल अवश्य था जो इस डील के बीच में बिचौलिए की भूमिका अदा कर रहा था, लेकिन जब मोदी सरकार में बीच से वह बिचौलिया निकल गया तब उस बिचौलिए को दिए जाने वाले अमाउंट को फ्रांस ने डिस्काउंट के रूप में भारत सरकार को दे दिया।