Sanjay Oza's Album: Wall Photos

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पिछले 45 दिनों में उजागर हुई केजरीवाल और उसकी सरकार की इस जानलेवा निकम्मेपन हरामखोरी मक्कारी की कोई चर्चा किसी मीडिया में क्या सुनी आपने.?

ध्यान से पूरा पढ़िए तो चौंक जाएंगे आप.
याद करिए कि पिछले महीने 10 जून को जब दिल्ली में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 19581 तथा कुल संक्रमितों की संख्या 32810 थी और 984 मौतें हो चुकी थीं. उस समय दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री सिसोदिया की जोड़ी ने 15 जुलाई तक दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या सवा दो से ढाई लाख तक पहुंचने और 30 जुलाई तक पांच से साढ़े पांच लाख तक पहुंचने की भयानक भविष्यवाणी कर के दिल्ली की जनता को बुरी तरह भयभीत कर दिया था. दोनों की जोड़ी ने यह ऐलान भी किया था कि 15 जुलाई तक दिल्ली में कोरोना संक्रमितों के लिए 33 हज़ार और 30 जुलाई तक 80 हजार बेड की आवश्यकता होगी. उनकी उस घोषणा का सीधा अर्थ यह था कि दिल्ली में कोरोना वायरस से गम्भीर रूप से संक्रमित एक्टिव मरीजों की संख्या 15 जुलाई तक कम से कम 33 हज़ार तथा 30 जुलाई तक कम से कम 80 हजार हो जाएगी.
"हमने चेतावनी दे दी, हमारे बस में अब कुछ नहीं, अब तुम जानो तुम्हारा काम जाने" वाले अंदाज में उपरोक्त घोषणा करते समय भी केजरीवाल और सिसोदिया की जोड़ी ने कोरोना संक्रमण के खिलाफ़ अपनी सरकार की कोई कार्ययोजना प्रस्तुत नहीं की थी. जबकि उससे पहले तक केजरीवाल और सिसोदिया की यही जोड़ी अफलातूनी दावे कर के दिल्ली की आंखों में धूल झोंकने में जुटी हुई थी. दरअसल केजरीवाल सिसोदिया की जोड़ी के पास ऐसी कोई कार्ययोजना कभी थी ही नहीं. अतः 10 जून को दिल्ली की जनता को बुरी तरह भयभीत करने वाली भविष्यवाणी करने के बाद यह जोड़ी मदद मांगने प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के पास पहुंची थी. परिणामस्वरुप दिल्ली में कोरोंना संक्रमण पर नियन्त्रण की कमान 15 जून से गृहमंत्री अमित शाह ने सम्भाल ली थी. और उसी दिन कोरोना संक्रमितों की सर्वाधिक संख्या वाले LNJP अस्पताल का जायजा लेने वहाँ पहुंच गए थे. जबकि केजरीवाल और सिसोदिया की जोड़ी LNJP तो छोड़िए, दिल्ली में कोरोना संक्रमितों के किसी अस्पताल में तब तक गए ही नहीं थे. सारा काम न्यूजचैनलों और अखबारों में विज्ञापनों से चल रहा था. 15 जून से गृहमंत्री अमित शाह ने जब कमान सम्भाली थी उस समय दिल्ली में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 25002 थी. और कुल कोरोना संक्रमितों की संख्या 42829 थी. और 1400 लोगों की मृत्यु हो चुकी थी.
अब यह भी जानिए कि स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार के अनुसार दिल्ली में आज सवेरे तक एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 80 हजार नहीं बल्कि 10770 है. इनमें से भी लगभग 6 हजार संक्रमितों का संक्रमण इतना समान्य स्तर का है कि उन्हें घर में ही क्वारेंटाईन के लिए कहा गया है. अर्थात्‌ मात्र लगभग 5 हजार संक्रमितों के लिए अस्पतालों में बेड की आवश्यकता पड़ी है. जबकि केजरीवाल ने 30 जुलाई तक 80 हजार बेड की जरूरत पड़ने का दावा किया था.
बीती 15 जुलाई को भी दिल्ली में एक्टिव कोरोना संक्रमितों की संख्या 17807 थी. जिनमें से लगभग 9 हजार लोगों का संक्रमण इतना समान्य स्तर का था कि उन्हें घर में ही क्वारेंटाईन के लिए कहा गया था. जबकि केजरीवाल ने 15 जुलाई तक 33 हजार बेड की जरूरत पड़ने का दावा किया था.
लेकिन पिछले 45 दिनों के दौरान गृहमंत्री अमित शाह को किसी न्यूजचैनल पर आकर या प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के अपनी इस उपलब्धि का ढोल बजाते हुए नहीं देखा गया. दरअसल गम्भीरता से अपना काम करने वाले ऐसे हथकंडों से खुद को बहुत दूर रखते हैं. जबकि इन 45 दिनों के दौरान कभी प्लाजमा बैंक, कभी राशन कार्ड, कभी मुफ्त भोजन सरीखे अपने पाखंडों के विज्ञापनों के जरिये केजरीवाल मीडिया को मोटी रकम लगातार पहुंचाने में जुटा हुआ था और न्यूज़चैनलों पर आधे से एक घण्टे लम्बे अपने प्रायोजित इंटरव्यू चलवा रहा था. यही कारण है कि आज 30 जुलाई को डंके की चोट पर उजागर हो रही केजरीवाल और उसकी सरकार के जानलेवा निकम्मेपन हरामखोरी मक्कारी की कोई चर्चा किसी अखबार या न्यूजचैनल में नहीं हुई है. होगी भी नहीं. हद तो यह है कि केजरीवाल सरकार के विज्ञापनों के बोझ से दबे ये न्यूजचैनल गृहमंत्री अमित शाह की सफ़लता का भी कोई उल्लेख नहीं कर रहे.

आज देश में भी कोरोंना संक्रमण की जो स्थिति है उसमें एक्टिव कोरोना संक्रमितों के 52% (302,009) मामले महाराष्ट्र बंगाल तमिलनाडु तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में हैं. शेष 48% एक्टिव कोरोना संक्रमित देश के 21 अन्य राज्यों और 9 "केन्द्र शासित प्रदेशों में हैं.
देश में कोरोना संक्रमण के कारण अबतक हुई 34968 मौतों में से 61% (21399) मौतें भी केवल इन्हीं 5 राज्यों में हुईं हैं.
ध्यान रहे कि महाराष्ट्र बंगाल तमिलनाडु तेलंगाना और आंध्रप्रदेश, ये पांचों राज्य केन्द्र सरकार विशेषकर गृहमंत्रालय के हर निर्देश हर सलाह को नहीं मानने के लिए कुख्यात हैं. इसका परिणाम वहां की जनता भोग रही है.
बहानों की बैसाखियों के सहारे न्यूजचैनलों पर मटकने चमकने वाले टोपीबाज केजरीवाल तथा चुनौतियों को स्वीकारने और उनसे सीधे टकराने वाले अमित शाह सरीखे राजनेता में क्या अन्तर होता है, आज 30 जुलाई को यह सच दिल्ली में कोरोना संक्रमण की स्थिति बता रही है.
सतीश चन्द्र मिश्राजी की वाल से...