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जब उत्तरप्रदेश में 170% अधिक डकैतियां हो रहीं थीं. 90% अधिक लूट हो रही थी. 25% अधिक बलात्कार और 15% अधिक हत्याएं हों रहीं थीं तब यही न्यूजचैनल उन हालात का गुणगान कर रहे थे, प्रशंसा गीत गा रहे थे.

याद करिए, अभी ज्यादा समय नहीं बीता है. बात केवल साढ़े तीन, पौने चार वर्ष पुरानी है. मार्च 2017 में सम्पन्न हुए उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के 3-4 माह पहले से सभी न्यूजचैनलों पर यह ढोल पीटे जाने लगे थे कि उत्तरप्रदेश में "अखिलेश का काम बोल रहा है."
उस समय उत्साह और उल्लास से नाचते हुए जो न्यूजचैनल उनके रिपोर्टर एंकर एडीटर "अखिलेश का काम बोल रहा है" का प्रशंसा गीत उत्साह और उल्लास से नाचते हुए गा रहे थे. वही न्यूजचैनल वही रिपोर्टर एंकर एडीटर आज यह राग अलाप रहे हैं कि मुख्यमंत्री योगी के राज में उत्तरप्रदेश में अपराधों की बाढ़ आ गयी है. जबकि सच यह है कि... जिस वर्ष 2016 में उत्तरप्रदेश में
अखिलेश के काम का न्यूज चैनली ढोल पीटा जा रहा था उस वर्ष 2016 में वर्ष 2019 के योगीराज की तुलना में डकैती की घटनाएं 170% अधिक हुईं थीं. लूट की घटनाएं 90% अधिक हुईं थीं. बलात्कार 25% अधिक हुए थे. और हत्याएं 15 प्रतिशत अधिक हुईं थीं.
इसका विस्तृत विवरण इस प्रकार है. वर्ष 2016 में उत्तरप्रदेश में अपराधियों ने 4679 नागरिकों की हत्या की थी, अर्थात्‌ अपराधी हत्यारे हर महीने लगभग 390 लोगों की हत्या कर रहे थे. 2016 में दुराचारियों ने 3481 महिलाओं को बलात्कार का शिकार बनाया था. अर्थात्‌ बलात्कारी दरिंदे हर महीने लगभग 290 महिलाओं के साथ बलात्कार कर रहे थे. डकैतों लुटेरों ने 263 डकैतियों और 4118 लूट की घटनाओं को अंजाम दिया था. अर्थात्‌ डकैत और लुटेरे हर महीने डकैती की 22 और लूट की 343 घटनाओं को अंजाम दे रहे थे.
जबकि वर्ष 2019 के नवम्बर माह तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि उस वर्ष 2019 के 11 महीने में 3294 हत्याएं हुईं. अर्थात्‌ अपराधी हत्यारों ने हर महीने 299 नागरिकों की हत्या की थी. यानी तत्कालीन अखिलेश राज में हुई नागरिकों की हत्याओं की संख्या वर्तमान योगी राज की तुलना में 15% अधिक थीं.
वर्ष 2019 के नवम्बर माह तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि उस दौरान 11 महीने में महिलाओं के साथ हुईं बलात्कार की घटनाओं की संख्या 2553 थी. अर्थात्‌ बलात्कार की घटनाओं का मासिक औसत 232 था. 2016 के तत्कालीन अखिलेश राज में हुईं बलात्कार की घटनाओं की संख्या इससे 25% अधिक थी.
वर्ष 2019 के नवम्बर माह तक के उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि उस दौरान 11 महीने में डकैती की 91 और लूट की 1982 घटनाएं हुईं थीं. अर्थात्‌ 2019 में हर माह डकैती की औसतन 8.2 तथा लूट की औसतन 180 घटनाएं हुईं. यह संख्या बताती है कि योगीराज की तुलना में 2016 के अखिलेश राज में डकैती की घटनाएं 170% अधिक हुई थीं. तथा लूट की घटनाएं 90% अधिक हुईं थीं.
आज उपरोक्त विवरण इसलिए आवश्यक एवं प्रासंगिक है ताकि न्यूजचैनलों की उस धूर्तता को उजागर कर सकूं कि जब वर्तमान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के शासनकाल की तुलना में अखिलेश राज में डकैती की घटनाएं 170% अधिक, लूट की घटनाएं 90% अधिक, बलात्कार की घटनाएं 25% अधिक और हत्याएं 15% अधिक हो रहीं थीं तब यह न्यूजचैनल हमारी आपकी आंखों में यह कह कर धूल झोंक रहे थे कि अखिलेश नें बहुत अच्छा काम किया है और उत्तरप्रदेश में अखिलेश का काम बोल रहा है. जबकि मुख्यमंत्री योगी के शासनकाल को यही न्यूजचैनल अपराध की बाढ़ लाने वाला बता रहे हैं.
अंत में यह और बता दूं कि उत्तरप्रदेश में अपराध की स्थिति की चिंता में दुबली हुई जा रही रॉबर्ट वाड्रा की बीबी प्रियंका वाड्रा भी अपने भाई के साथ अखिलेश यादव को ही दोबारा मुख्यमंत्री बनाने के लिए वोट मांगते हुए पूरे उत्तरप्रदेश में मंडरा रही थी. इसका भी नारा वही था कि "अखिलेश का काम बोल रहा हैं."
तथ्यों की पुष्टि के लिए पहला कमेंट देखें.

सतीश चन्द्र मिश्राजी की वाल से .......