महंत श्री राम चन्द्र परमहंस जिन्हें फक्कड़ बाबा के नाम से भी जाना जाता था। ये राम जन्म भूमि के वो नींव के पत्थर है जिन्होंने 12 दिसंबर 1949 को रात के समय राम जन्मभूमि जहां उस टाइम मस्जिद थी वहां कड़ी सुरक्षा के बावजूद श्री राम की मूर्ति स्थापित कर दी थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने मूर्ति को हटाने के आदेश दिए परन्तु बाबा जी का इतना प्रभाव था कि अयोध्या के तत्कालीन डीएम ने मूर्ति हटाने से मना कर दिया। फिर बाबा ने कोर्ट जा कर याचिका लगाई कि मूर्ति को बिना पूजा के नहीं रहने दे सकते औेर पूजा की अनुमति कोर्ट से ले आए। उस वक्त फक्कड़ बाबा ने जो केस कोर्ट में दाखिल किया था उसी का नतीजा है कि 5 अगस्त 2020 को राम जन्म भूमि पूजन किया जा रहा है। बाबा जब अंतिम दिनों में थे तब उन्हें लखनऊ के अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तब उन्होंने इच्छा रखी कि उन्हें अयोध्या ले जाया जाए फिर उन्हें अयोध्या लाया गया और उन्होंने वहीं सरयू पे 31 जुलाई 2003 को समाधि ले ली। जो सरयू तट पे मौजूद है। अन्तिम समय उनसे उनकी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने अपनी तीन इच्छाएँ बताई।
1. मुझे मोक्ष नहीं राम लल्ला का मंदिर चाहिए।
2. कृष्ण मंदिर औेर काशी विश्वनाथ मंदिर।
3. गौ हत्या बंद हो औेर अखंड भारत।