Amit Kishore Kapoor's Album: Wall Photos

Photo 90 of 208 in Wall Photos

. ॐ श्री परमात्मने नमः

श्री गणेशाय नम:

राधे कृष्ण

एवं परम्पराप्राप्तमिमं राजर्षयो विदुः।
स कालेनेह महता योगो नष्टः परन्तप॥
( श्रीमद्भागवत गीता अ० ४-२ )

हिन्दी अनुवाद -
हे परन्तप अर्जुन! इस प्रकार परम्परा से प्राप्त इस योग को राजर्षियों ने जाना, किन्तु उसके बाद वह योग बहुत काल से इस पृथ्वी लोक में लुप्तप्राय हो गया |

व्याख्या-
इस प्रकार किसी महापुरुष द्वारा संसकार रहित व्यक्तियों की सुरा में, सुरा से मन में, मन से इच्छा में और इच्छा तीव्र हो कर क्रियात्मक आचरण में ढलकर यह योग क्रमशः उत्थान करते करते राजर्षि श्रेणी तक पहुँच जाता है, उस अवस्था में जाकर विदित होता है | इस स्तर के साधक में ऋद्धियों-सिद्धियाँ का संचार होता है | यह योग इस महत्वपूर्ण काल में इसी लोक ( शरीर ) में प्रायः नष्ट हो जाता है | इस सीमा-रेखा को कैसे पार किया जाए? क्या इस विशेष स्थल पर पहुँच कर सभी नष्ट हो जाते हैं? श्रीकृष्ण कहते हैं- नहीं, जो मेरे आश्रित हैं, मेरे प्रिय भक्त हैं, अनन्य सखा हैं वह नष्ट नहीं होते | शेष उपदेश अगले श्लोक की व्याख्या में, अगले सत्र में मित्रों |

हरी ॐ तत्सत् हरि:।

ॐ गुं गुरुवे नम:

शुभ हो दिन रात सभी के।