राजा डलदेव भर भी सभी के संग खुशी मना रहे थे। तभी जौनपुर के शाहशर्की की सेना ने डलमऊ के किले पर आक्रमण कर दिया। जिस वक्त किले पर हमला बोला गया, उस समय राजा और उनकी सेना युद्ध के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी। किसी को इसका अंदाजा भी नहीं था। बावजूद इसके राजा ने हार नहीं मानी।
शाहशर्की का सामना करने के लिए राजा डलदेव भर युद्ध में कूद पड़े। बिना किसी तैयारी के महज दो सैनिकों की एक टुकड़ी लेकर राजा डलदेव भर ने दुश्मनों का खुलकर सामना किया। राजा और उनकी छोटी सी सेना की वीरता के दुश्मन भी कायल हो गए थे। जिस तरह से राजा और उनके सैनिकों ने युद्ध लड़ा, उसकी चर्चाएं आज भी लोग करते हैं। बताते हैं कि सैनिकों की संख्या कम होने के बावजूद भी युद्ध में राजा और उनकी सेना पीछे नहीं हटी। इस युद्ध में राजा की सेना ने शाहशर्की के दो हजार सैनिकों को मार गिराया। हालांकि लड़ाई में राजा के भी सभी सिपाही एक-एक करके शहीद हो गए थे। बाद में पखरौली गांव के पास युद्ध के समय ही राजा डलदेव को शाहशर्की ने चारों तरफ से घेर लिया। यहां राजा ने अपनी जान प्रजा की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दी।
इस घटना को सदियां गुजर गई। देश में राजपाठ खत्म हो गए, लेकिन डलमऊ के लोग आज भी अपने राजा की वीरता को नहीं भूले हैं....