भारत माता
बंगाल के लेखक किरणचंद्र बंदोपाध्याय के नाटक ‘भारत माता’ के साथ सबसे पहले यह दो शब्द सामने आए। नाटक सन् 1873 में खेला गया था। यह बंगाल में अकाल की कहानी थी। घर छोड़कर जा रही महिला और उसके पति को एक पुजारी भारत माता के मंदिर ले जाता है। पति-पत्नी अंग्रेजों को हराने की लड़ाई में क्रांतिकारियों के साथ हो जाते हैं। इसके बाद 1882 में बंकिमचंद्र चटोपाध्याय का उपन्यास ‘आनंदमठ’ आया इसमें ‘वंदे मातरम’ कविता था।
अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने बनाया पहला चित्र
इसके बाद वर्ष 1905 में अवनीन्द्रनाथ टैगोर ने भारत माता का एक चित्र बनाया। इसे भारत माता की पहली तस्वीर माना जाता है। चित्र में भारत का नक्शा नहीं था। भारत माता भगवा रंग के बंगाल के परंपरागत परिधान में दिखाई गईं। शुरू में इसे बंग माता भी कहा गया। चार हाथों वाली देवी के हाथों में किताब, धान की पुली, माला और सफेद वस्त्र था।
अंग्रेजों ने जब्त कर लिया था चित्र
कुछ ही वर्षों में भारत माता के चित्र इतने प्रसिद्ध हो गए कि कई कलाकार भारत के नक्शे में इसे अपनी-अपनी कल्पनाओं के अनुसार चित्रित करने लगे। यह सिलसिला तेजी से बढ़ने लगा। नवंबर 1908 में ढाका में अनुशीलन समिति के दफ्तर पर जब ब्रिटिश उपनिवेश की पुलिस ने छापा मारा तो वहां प्रवेश द्वार पर फ्रेम कर लगाए गए भारत माता के चित्र को जब्त कर लिया गया। इससे भारतीयों में खासी नाराजगी रही।
बनारस में 1936 में बना था पहला मंदिर
1936 में बनारस में भारत माता मंदिर का लोकार्पण महात्मा गांधी ने किया था। यह मंदिर स्वतंत्रता सेनानी शिवप्रसाद गुप्त ने बनवाया था। इसमें प्रतिमा है और किसी देवी-देवता का चित्र। इसमें भारत का नक्शा है। तब गांधीजी ने कहा था, उम्मीद है कि मंदिर सभी धर्मों, जातियों और सम्प्रदायों का साझा केंद्र बनेगा। यह देश में धार्मिक एकता, शांति और प्रेम को बढ़ावा देने का माध्यम बनेगा। इसके अलावा भी देश में कई जगह भारत माता के मंदिर हैं।
भारत माता की गोद में 4 बच्चे
1909 में दक्षिण भारत के एक अखबार विजया का विज्ञापन प्रकाशित हुआ। इसमें भारत माता के हाथों में चार बच्चे चित्रित किए गए थे, जो हिन्दू और मुस्लिम परिधान में थे। फिर भारत माता को देवी दुर्गा के रूप में चित्रित किया गया। हाथों में शस्त्र लिए भारत माता की एक तस्वीर 1913 में जिनेवा से प्रकाशित न्यूज मैग्जीन ‘वन्दे मातरम – ऑर्गन ऑफ इंडियन इंडिपेन्डेंस’ में प्रकाशित हुई। इस मैग्जीन को स्वतंत्रता सेनानी भीकाजी कामा का आर्थिक सहयोग था।
बन गया आजादी का सशक्त नारा
‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में जवाहरलाल नेहरू ने लिखा था- जब मैं सभाओं में जाता हूूं तो “भारत माता की जय” के नारे लगते हैं। मैं लोगों से पूछता हूं यह भारत माता कौन है। फिर बताता हूं कि यह भूमि तो भारत माता है ही, लेकिन सच्चे अर्थों में यहां के लोग भारत माता हैं। इसकी जय का मतलब इस भूमि के लाखों लोगों की जीत का संकल्प है।