राखी के पावन अवसर पर
इन बुक की सभी बहनों को समर्पित
मैं पावन राखी का सूत
मै बहन के स्नेह का दूत
मैं सूत राखी का पावन
मै पवित्र स्नेह का बंधन
रेशम के रेशमी भाव लिए
मन में स्नेह की चाह लिए
आत्मियीता से ओतप्रोत मैं
कर रहा हृदय से नमन
कोई दुविधा ना तुम्हें सताए
दुख कोई निकट ना आए
उदासी की छाया ना छू पाए
आनंद भरा हो तुम्हारा जीवन
में पावन राखी का सूत
मैं पवित्र स्नेह का बंधन
तेरी हार मेरी हार तेरी जीत मेरी जीत
तेरा सुख दुख मेरा सुख दुख
तेरे मेरे विश्वास की डोर गुंथा
स्नेह का पावन पवित्र बंधन
कर रहा अलौकिक सबका मन ।