विजय....
प्यारी सुखद होती है विजय
कइयों के शहीद होने पे मिलती विजय
खुश हुआ था पूरा देश
पहन के घर आया वो तिरंगा वेश
कई कई वादे घोषणायें की नेताओ ने
अच्छा बने जनता में इसी विजय को पाने में
उस शहिद हुये का कैसे चल रहा है घर
यह जानने की किसी को नही फुर्सत
चंद दिन मीडिया भी आगे पीछे रहती है
फि वो भी न जाने कहाँ गायब ही रहती है
न घोषणाओं के रुपये मिलते है पूरे
आधे चढ़ाने पड़ते है भेंट नोकरशाहो के
चप्पल घिस जाते है फेमिली पेंशन पाने को
वो घोषित पेट्रोल पंप तो तोड़ जाता सपनो को
क्या होता है दर्द शहीद के परिवार का
देश के नोजवानों न जानो तो ही अच्छा
मनालो वर्ष गांठ आज कारगिल की विजय का
नेताओ के झूठे वादों व घोषणाओं का
आओ कामना करो शहीद के परिवार की खुशहाली का
इस देश की अस्मिता सुरक्षा व हर सैनिक की विजय का.....