Shiv kumar Sharma's Album: Wall Photos

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जुम्मन भाई की बकरी
चोरी होना
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पूरे गांव में कोहराम मच गया। जुम्मन भाई की बकरी चोरी हो गई थी। उनकी पत्नी चिल्ला चिल्ला कर रोने लगी, जिससे मोहल्ले के लोग इकट्ठे हो गए। जुम्मन भाई बाहर चिंताग्रस्त मुद्रा में टूटी खाट पर बैठ गए । लोग उन्हें सांत्वना देने के लिए इकट्ठे हो गए। जुम्मन भाई रूंधे गले से बता रहे थे कि किस तरह वह बकरी 'बहुउद्देशीय' थी। उसके दूध से दिनभर चाय बनती थी ,उसके मेमनों को मुंबई एक्सपोर्ट किया जाता था जिससे अच्छे खासे रुपए मिल जाते थे और उसके कई वंशज त्योंहार पर कुर्बानी देने के काम भी आते थे।
मोहल्ले के एक नेता का कहना था कि इस घटना के पीछे कहीं ना कहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है। विश्व हिंदू परिषद के कई नेता भी इस क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं । उन्हीं की शह पर किसी ने इस घटना को अंजाम दिया होगा। कुछ लोग जुम्मन मियां को पुलिस में रिपोर्ट करने की सलाह देने लगे। जुम्मन मियां पुलिस और कोर्ट कचहरी से घबराते थे लेकिन लोगों के भारी दबाव में आकर वे थाने पहुंचे ।
पुलिस जी का कहना था कि यह पुलिस के स्तर का मामला नहीं है। संभव है कि बकरी 'एक्स्ट्रा मैरिटल रिलेशंस' के चलते किसी बकरे के साथ भाग गई हो। थानेदार का यह भी कहना था कि सामान्यत: वे लड़कियों की गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज नहीं करते और जब गुमशुदा लड़की के साथ बलात्कार हो जाता है तो जरूर वे मीडिया के दबाव में रिपोर्ट कर अपराधियों को पकड़ने का प्रयास करते हैं।
गांव के कुछ नेता टाइप लोगों ने विधायक को फोन पर बताया कि पुलिस रिपोर्ट लिखने को तैयार नहीं है, इसलिए आप पुलिस पर दबाव बनाएं।
एमएलए लल्लू सिंह ने पुलिस जी को फोन किया और कहा,' थानेदार जी, आप रिपोर्ट काहे नहीं लिख रहे हैं? आपको पता नहीं कि जुम्मन हमारा खास आदमी है और उसका मोहल्ला जिसको भी वोट डालता है, एकमुश्त वोट डालता है। उसकी रिपोर्ट लिखा जाना मेरे राजनीतिक भविष्य से जुड़ा है इसलिए चुपचाप रिपोर्ट लिख लें।'
पुलिस जी ने विनम्रता से कहा,' सर जी ,हमारे पास पेंडिंग केसेज इतने हो गए हैं कि एसपी साहब वैसे ही नाराज हैं। इसलिए अभी एफआईआर दर्ज करना संभव नहीं है । हां, आपके कहने से मैं गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कर लेता हूं। जैसे कि लोगों के मोबाइल चोरी हो जाने पर भी हम गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करते हैं ।जहां तक जुम्मन का सवाल है उसको मैं समझा दूंगा ।'
पुलिस जी ने जुम्मन को अपने चेंबर में बुलाया तो वह बेचारा डर से कांप रहा था ।पुलिस जी ने कहा , 'देखो जुम्मन , हम तुम्हारी बकरी की गुमशुदगी रिपोर्ट लिख रहे हैं। लेकिन यदि तुम एफआईआर करवाओगे तो पुलिस घर की औरतों को थाने बुलाकर बयान लेगी और यदि पुलिस को कोई बकरी बरामद होती है तो शिनाख्त के लिए बार-बार घर की औरतों को भी बेपर्दा होकर यहां आना पड़ेगा। शिनाख्त परेड में बहुत सारी बकरियों के बीच में तुम्हारी बकरी खड़ी करके तुमसे पहचानने को कहा जाएगा और यदि तुमने गलत बकरी पहचान ली तो उल्टे तुम पर धोखाधड़ी और पुलिस को गुमराह करने का मुकदमा बन जाएगा। यही नहीं बाद में कई साल तक कोर्ट में जाकर पूरे खानदान को गवाही भी देनी पड़ेगी। आजकल जज साहब भी पशु प्रेमियों की एक एनजीओ के दबाव में बहुत सख्त हैं। हो सकता है कि तुम पर पशुओं के साथ क्रूरता बरतने के आरोप में नगद जुर्माना लगा दे। इसलिए तुम इस तरह की गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज करा दो कि मेरी बकरी स्वेच्छा से कहीं घूमने गई थी और रास्ता भटक कर गुम हो गई है।पुलिस जी से निवेदन है कि वह मेरी बकरी को ढूंढने में सहयोग करें।'
पुलिस की इस कार्रवाई से जुम्मन भाई संतुष्ट थे। जुम्मन भाई को इस बात पर भी संतुष्टि थी कि पुलिस जी ने खुद उन्हें स्टूल पर बैठने के लिए कहा। कई बार तो पुलिस जी डंडा पहले मारती है ,बात बाद में सुनती है ।
लेकिन जुम्मन भाई के मोहल्ले के पार्षद और कुछ नेता इससे संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने पुलिस थाने पर पथराव शुरू कर दिया जवाब में पुलिस ने लाठियां भी चलाई और न जाने कहां से गुड की भेली पर भिनभिनाने वाली मक्खियों की तरह दुनिया भर के पत्रकार अपने टीवी कैमरे सहित थाने के बाहर आ गए। कुछ पत्रकार तो बाकायदा चिल्ला-चिल्लाकर भीड़ को उकसा रहे थे।
जुम्मन तो डर से कोने में चुपचाप खड़ा था पर कई लोग उसकी ओर से टेलिविजन चैनल्स को ' बाइट ' दे रहे थे। कुछ चैनल्स ने घटना का लाइव प्रसारण भी शुरू कर दिया। भीड़ केंद्र सरकार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के विरुद्ध नारे लगा रही थी।
कुछ ' लिबरल हिन्दू' अपनी पिटी हुई दुकान चलाने के उद्देश्य से बाबा रामदेव के खिलाफ भी नारे लगाने लगे। इन लोगों का कहना था कि बाबा जी योग के नाम पर धर्म का प्रचार कर रहे हैं जो कि धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और वे मर जाएंगे लेकिन संविधान का 'उल्लंघन' नहीं होने देंगे।
दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद और के लोग भी उत्तेजित हो गए ।उनका कहना था कि वे शाकाहारी लोग हैं और उन पर बकरी चोरी का आरोप अत्यंत गंभीर है इसलिए सरकार से जुम्मन को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग करते हैं । इन लोगों का कहना था कि जुम्मन खुद अकेला ही गांव की डेमोग्राफी को बदल रहा है। जुम्मन ने अपना मकान भी पंचायत की जमीन पर अवैध रूप से बनाया तथा उसमें खेत के आसपास की गोचर भूमि पर भी कब्जा कर रखा है । उसके सभी अवैध कब्जे हटाए जाए। कुछ नेता गांव के झोलाछाप 'डॉक्टर' तनवीर अहमद को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। उनका कहना था कि जावेद अख्तर द्वारा जिस डॉक्टर ऑर्थो के घुटने के तेल का प्रचार किया जा रहा है उसे बेच बेचकर कर तनवीर मालामाल हो गया लेकिन किसी का घुटना ठीक नहीं हुआ । डॉ(?) तनवीर का दावा था कि 'डॉ ऑर्थो' के तेल से जुम्मन मियां की बकरी के घुटने का दर्द भी ठीक हुआ है।
अपनी मांग के समर्थन में विश्व हिंदू परिषद ने पटवारी कार्यालय पर भी प्रदर्शन किया। लोगों के उग्र प्रदर्शन के चलते वहां पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
गांव में हो गए सांप्रदायिक तनाव को के मद्देनजर हैदराबाद और इलाहाबाद से अनेक नेता जुम्मन के समर्थन और विरोध में इकट्ठे हो गए और उन्होंने आम सभा करने का प्रयास किया। पुलिस ने इसकी अनुमति नहीं दी लेकिन इन नेताओं ने मीडिया को संबोधित किया और आरोप लगाया कि जब से नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई है तब से जुम्मन भाई ही नहीं, उनके समुदाय के अनेक लोगों की बकरियां चोरी हो रही हैं ।
गांव में एक समझदार व्यक्ति बाबा देवीशंकर जी थे ।उन्होंने दोनों पक्षों को बुलाकर समझाया तथा यह प्रस्ताव दिया कि वह अपने रुपयों से जुम्मन को नई बकरी दिलाने को तैयार हैं ताकि यह विवाद खत्म हो जाए और गांव के लोग शांति से एक दूसरे के साथ पहले की तरह मिलजुल कर रहें। जुम्मन मियां इस प्रस्ताव पर सहर्ष तैयार थे लेकिन उनके साथ वाले लोगों का कहना था कि एक तो जुम्मन का अपनी बकरी के साथ भावनात्मक लगाव था इसलिए वह कोई अन्य बकरी स्वीकार नहीं करेगा, दूसरा यदि इस तरह पीछे हट गए तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद के लोगों के हौसले बुलंद हो जाएंगे।फिर वे हावी होने का प्रयास करेंगे।
हैदराबाद से आए नेता ने भी लोगों से डटे रहने का आह्वान किया।
उधर इलाहाबाद से आए एक नेता का कहना था जुम्मन की बकरी और बकरे ने गांव में पशुओं की संख्या इतनी बढ़ा दी है कि चारों ओर इससे गंदगी फैलती है और ये किसी के भी खेत में घुसकर उसकी फसल खा जाते हैं ।इसलिए सरकार को जुम्मन के बकरी पालने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए ।
गांव में दो-तीन निष्क्रिय वामपंथी नेता भी थे। उन्हें अपने क्रियाकलापों के लिए यह माहौल उपयुक्त लगा इसलिए वे भी सक्रिय हो गए। उन्होंने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी और कोर्ट से कहा कि जुम्मन का मौलिक अधिकार है कि वह बकरी पाले लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुछ सदस्य केंद्र सरकार की शह पर असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर उनको बकरी पालने में रुकावटें पैदा कर रहे हैं । यही नहीं इस बार तो उन्होंने उनकी बकरी भी चोरी कर कहीं गायब कर दी। इससे जुम्मन भाई को न केवल आर्थिक हानि हो रही है वरन उनके परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया है। उनका पूरा परिवार बकरी से भावनात्मक लगाव के कारण 'डिप्रेशन' में आ गया है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से इस याचिका को बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की तरह मानने का भी आग्रह किया। यह जनहित याचिका शनिवार को देर से दायर की गई थी और अगले दिन रविवार था लेकिन मामले की नजाकत को समझते हुए कोर्ट ने ई-मेल से केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजे तथा इसकी सुनवाई रविवार को सुबह पांच बजे से करने का निर्णय लिया। कोर्ट के बाहर सुबह से ही विभिन्न समुदायों के अलग-अलग लोगों के झुंड पहुंचने लगे। 'सचमुच' और ' दिनरात' न्यूज़चैनल के संवाददाताओं में भी न्यूज़ को कवर करने की होड़ लगी हुई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह तीन दिन में बकरी को ढूंढ कर न्यायालय के सामने प्रस्तुत करें और इस बीच जुम्मन को प्रतिदिन चार लीटर दूध और अदरक -इलायची भी मुआवजे के तौर पर दी जाए ताकि वह अपने परिवार के सभी सदस्यों को समय-समय पर पहले की तरह चाय बनाकर पिला सके।
कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि जुम्मन की धार्मिक भावनाओं को चोट ना पहुंचे इसलिए उन्हें भैंस का दूध दिया जाए। केंद्र सरकार को जुम्मन की सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस की एक बटालियन भी गांव में तैनात करने के निर्देश दिए गए। राज्य सरकार ने न्यायालय के आदेशों की पालना करते हुए एक डीआईजी रेंक के पुलिस अधिकारी के नेतृत्व में बकरी ढूंढने के लिए एसआईटी का गठन कर दिया तथा एक आईएएस अधिकारी को जुम्मन के घर बकरी मिलने तक दूध पहुंचाने के लिए तैनात कर दिया। राज्य सरकार ने अंतरिम मुआवजा के तौर पर जुम्मन को पंद्रह हजार ₹ की नगद सहायता देने की घोषणा की ।
न्यायालय के फैसले से जुम्मन काफी संतुष्ट थे लेकिन लोग उन्हें लगातार कह रहे थे कि उनके साथ अन्याय हुआ है और उन्हें उनकी बकरी मिलनी चाहिए। यदि उनकी बकरी नहीं मिलती है तो वह अनशन पर मुख्यमंत्री निवास के बाहर बैठ जाएं ।उधर जुम्मन भाई के पास पुलिस जी का गुप्त संदेश आया कि ऊपर से आदेश आया है कि जुम्मन को कोई भी एक बकरी ला कर दे दी जाए तथा उस से लिखवा लिया जाए कि यही मेरी बकरी है और अब मैं पूरी तरह से संतुष्ट हूं। उससे कोर्ट में एक एफिडेविट भी दाखिल करा दिया जाए कि मेरी बकरी मिल गई है और मैं राज्य सरकार एवं पुलिस के सहयोग के लिए उनका आभारी हूं ।पुलिस जी का मानना था कि जुम्मन संतुष्टि पत्र दे देंगे तो उससे उनके डीआईजी साहब की आईजी पद पर पदोन्नति हो जाएगी। उनके यहां दूध पहुंचाने वाले आईएएस अधिकारी का कहना था कि जुम्मन थोड़ा सा सहयोग करके संतुष्टि पत्र दे दें तो उन्हें भी राज्य सरकार पदोन्नत कर किसी महत्वपूर्ण पद पर लगा देगी, फिलहाल वे बर्फ पर लगे हुए हैं। गांव में तनाव के हालात को देखते हुए प्रसिद्ध पत्रकार चरखा दत्त , राज देसाई और खाना अयूब अपनी-अपनी कैमरा टीम लेकर गांव में पहुंच गए।
चरखा दत्त ने न्यूयार्क टाइम्स को एक लेख भेजा , जिसमें लिखा गया की जुम्मन भाई की बकरी चोरी होना एक मामूली घटना नहीं होकर केंद्र सरकार के संरक्षण में चल रही असहिष्णुता और एक धर्म विशेष के लोगों को परेशान करने की नीति की प्रतीक है । इस मामले को संयुक्त राष्ट्र संघ में नहीं उठाए गया तो भारत के करोड़ों अल्पसंख्यकों की बकरियां संकट में पड़ जाएंगी।
कई टेलीविजन चैनलों पर एंकर इस विषय पर लाइव डिबेट करने लगे कि आखिर कब जुम्मन के घर बकरी और रौनक लौटेगी , जुम्मन भाई की बकरी चोरने का अपराधी कौन, कब होगी मुजरिमों की गिरफ्तारी आदि।
राष्ट्रीय स्तर की एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी जनहित दल के अध्यक्ष ने जुम्मन भाई के प्रति सहानुभूति व्यक्त करते हुए कहां कि वे एक रात उनके घर व्यतीत करेंगे तथा उन्हीं के घर खाना खाएंगे। जुम्मन मियां शुरू में इसके लिए तैयार नहीं हुए। उनका कहना था कि लोगों की राजनीति के चलते उनकी शांति से चल रही दाल रोटी भी खतरे में पड़ गई है और गांव में पहले सभी समुदायों के लोगों से उनके प्यार मोहब्बत वाले संबंध थे। अब दूसरे समुदायों के लोग उन्हें अजीब सी निगाहों से देखते हैं इसलिए वह किसी सियासी झगड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं।लेकिन नेताओं ने उन्हें समझाया और कहा कि जनहित दल सांप्रदायिक सद्भावना को बढ़ावा देता है इसलिए उसके अध्यक्ष को एक दिन उनके घर में आने दिया जाए और ये लोग कहने को तो गरीबों के घर का खाना खाते हैं लेकिन दरअसल खाना किसी फाइव स्टार होटल से पैक हो कर आता है, जिसे किसी गरीब की थाली में परोस कर मीडिया के सामने इस प्रकार दिखाया जाएगा जैसे वह जुम्मन की बीबियों ने बनाया हो। जनहित दल के 58 वर्षीय युवा नेता जुम्मन मियां के आए। रात भर रुके और देशभर के पत्रकारों -फोटोग्राफरों द्वारा इस एडवेंचर पिकनिक को कवर करने के बाद हेलीकॉप्टर से वापस लौट गए। लौट चलें उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जुम्मन मियां की बकरी चोर ने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ है और वे यह मामला संयुक्त राष्ट्र संघ में उठाएंगे।
कुल मिलाकर पूरी दुनिया में जुम्मन मियां की बकरी की धूम मच गई ।
अचानक पुलिस जी को एक बड़ी कामयाबी मिली। पास के गांव के एक बहुत बड़े माफिया यूसुफ को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस माफिया के चेले आसपास के गांव से मोटरसाइकिलें, गाय व भैंस आदि चुरा कर लाते थे। इनके एक नए चेले आलम ने जुम्मन की बकरी चुरा ली थी। आलम पुलिस की गिरफ्त में आ गया। जब आलम को पुलिस जी ने रात को मानव अधिकारों के सोने के बाद ' आओ प्यार करें ' लिखे हुए एक लकड़ी के फट्टे से पीटना शुरू किया तो उसने कबूल कर लिया कि उसने ही जुम्मन मियां की बकरी चुराई है। बकरी बरामद हो गई। चारों ओर चैनल के पत्रकारों में उदासी का माहौल छा गया। चार-पांच दिन से चल रहा मुद्दा खत्म हो गया। अब उन्हें फिर कोई नया शिकार ढूंढना पड़ेगा। चरखा दत्त भी अपना सामान समेटकर दिल्ली चली गई ।
जुम्मन भाई अपनी बकरी को पाकर बहुत प्रसन्न थे लेकिन उन्हें इस बात का अफसोस भी था कि इस प्रकरण में गांव के कुछ नेताओं ने अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए पूरे गांव में वैमनस्य पैदा कर दिया।
यही आजकल इस देश की हर घटना पर स्थिति बनी हुई है आप हम सभी को जाग्रत हो कर इस स्थिति से मुकाबला करने को तैयार रहना पड़ेगा ।

लेखक.... वेद माथुर
साभार.....पाठक जी