जो होता
अच्छे के लिए होता
धारणा यही
जो रखकर चलता
उसका ही मन शांत रह पाता ...
नहीं है हमारे वश में कुछ भी
जो बोया जाता/गया होता
वैसा ही फल हमें मिलता
मत फल को देखकर
दुखी होओ ...
जैसे भी फल लगे है
छिपी है उसमे मेरी भलाई
ऐसा विचार रखने से
मन में नहीं पनपती
कभी नेगेटिविटी ....
जैसी बननी होती / मिलनी होती राह
वैसे ही फल/संयोग मिलते जाते
साइंस नहीं तो कॉमर्स
जिस ओर बढ़ने की होती
तुम्हारी नियति
उसी प्रकार के रिजल्ट
होते जाते प्राप्त ...
किये जाओ
ईमानदारी से
करते रहो अपना पुरुषार्थ
जो / जैसे भी
संयोग हो रहे प्राप्त
मिलती जाएगी सफलता
उसी प्रकार
नहीं है इसमें संदेह कोई ....
प्रणाम !
अनिल जैन "राजधानी"
श्रुत संवर्धक
२.७.२०१८