Sambhav Jain's Album: Wall Photos

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जिनवाणी माँ आँसू बहाए
पंचमकाल में जैनधर्म में
जैनी ही लजवाए, जिनवाणी माँ.....

कोई सुने नहीं, कोई पढ़े नहीं, नित ही करते कषाय
जिनवाणी माँ आँसू बहाए..

आतम को जाने नहीं, शास्त्रों की माने नहीं,
आगम को झुठलाए, जिनवाणी माँ...

कोई शास्त्र को छपने ना दे
कोई शास्त्र को पढ़ने ना दे
कोई शास्त्र डुबाए
जिनवाणी माँ...

बीसपंथ का आया प्रकोप
शुद्धाम्नाय को जिसने डुबोया
झण्डा रहे लुटवाय
जिनवाणी माँ....

कोई निश्चय के शब्दों में अटका
कोई व्यवहार क्रिया में भटका
गुणों की पूंजी गंवाय
जिनवाणी माँ....

"वत्थुसहावो धम्मो" तजकर
पसन्द अपनी को धर्म बताय
जिनवाणी माँ...

आजा आजा ओ चेतन प्यारे
जिनवाणी माता तुझे पुकारे
मोक्ष महल को थाय
जिनवाणी माँ....

(लेखक का नाम अपरिचित है)