सुप्राभात सभी धर्म बन्धुवों को मेरा सादर जय जिनेन्द्र ।
विषय - लीन हो तो ऐसे लीन हो कि जन्म मरण का बंधन टूट जाए ।
एक व्यक्ति अपनी धर्मपत्नी से बहुत प्रम करता है इतना मगन रहता है कि दूसरे देखने वाले भी शर्मा जाएँ और उस व्यक्ति का इस बात का कोई खेद नहीं था ।
व्यक्ति की पिता को लज्जा आती है कि पुत्र ऐसा क्यों हो गया है ?(पत्नी ने पीछे पागल हो गया है) । पिता ने अपनी समस्या मुनिराज को बताई और मुनिराज ने जवाब दिया कि यह कोई चिंता का विषय नहीं है । एक दिन व्यक्ति को मुनिराज के दर्शन होते हैं उसी समय वह मुनिराज के प्रति इतना आकर्षित होता है कि जैनेश्वरी दीक्षा को धारण कर लेता । पति, पत्नी और साले के बीच आपस में बहुत प्रमभाव था । पति के पीछे पत्नी ने भी दीक्षा ले ली और आर्यिका बन गयीं । जीजा को दीक्षा लेते देख साले ने भी दीक्षा धारण करली । इस प्रकार तीन जीवों ने अपने जीवन को मोक्ष मार्ग के प्रति मोडा और अपना कल्याण कर लिया ।
दो पत्तियाँ मेरी तरफ से
फल की इच्छा मत रखना कभी जीवन में आगे अगर आपके परिणाम विशुद्ध हैं तो क्या पता आपको मोक्ष फल प्राप्त हो जायेगा।