एक दस साल का बच्चा पहली बार अपने पिता के साथ घूमने निकला । रास्ते में एक मंदिर मिला तो पिता जी ने कहा बेटा हाथ जोड़कर प्रणाम करो । बेटे ने पूछा किसको प्रणाम करूँ पापा ? पापा : बेटा भगवान को प्रणाम करो । बेटा : लेकिन पापा भगवान है कहाँ ? पापा : बेटा वो मंदिर में हैं ? बेटा : पापा, मंदिर तो बंद है उसमे मोटा सा ताला लगा हुआ है । भगवान को किसने मंदिर में बंद कर दिया ? पापा : बेटा ये भगवान को मंदिर में बंद नही किया बल्कि मंदिर की सुरक्षा के लिए ताला लगाया हुआ है । बेटा : मंदिर में तो खुद भगवान रहते हैं, उनको किससे सुरक्षा की जरुरत है ? पापा : बेटा मंदिर में बहुत कीमती कीमती मूर्तियाँ रखी होते हैं और वो मूर्तियाँ कीमती गहने पहने होती है । चोर और तस्कर हमेशा उनको चोरी करने की फ़िराक में रहते हैं इसीलिए उनसे बचाने के लिए मंदिर को बंद किया जाता है । बेटा : लेकिन पापा वो तो खुद भगवान है । सब कुछ करने वाला है फिर कोई साधारण चोर उनको कैसे चुरा सकता है ? जब भगवान खुद को ही चोरी होने से नही बचा सकता है तो फिर मुझको या किसी और को क्या दे सकता है ? ऐसे भगवान को प्रणाम करने से क्या फायदा ? पापा : बेटा ये बात तुम्हारे समझ में नही आएँगी । वैसे भी कोई जानवर जैसे कुत्ते बिल्ली आदि आकर गंदगी ना करें इसीलिए भी ताला लगाया जाता है । बेटा : पापा जब सभी जीव उसी की संतान हैं, तो उनको पता होना चाहिए कि यहाँ पर गंदगी नही करनी चाहिए । अगर वो ऐसा करते हैं तो ये झूठ है कि सभी प्राणी उसी के बनाये हुए है । अगर फिर भी उनको पता नही है तो भगवान को खुद उनको बताना चाहिए कि ऐसा नही करो या फिर उनको रोकना चाहिए लेकिन भगवान ऐसा भी नही कर सकता तो सीधा सा मतलब है भगवान ही नही है । पापा : बेटा अभी ये बाते तुम्हारी समझ में नही आएँगी और भगवान पर सवाल नही करते चुपचाप जैसे सुनते आये हो उसको ही सच मानो । बेटा : तो पापा हमको अपने दिमाग का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए और जानवरों जैसी जिन्दगी व्यतीत करनी चाहिए । अब पापा के गुस्से की हदें पार हो गयी । उसने बेटे के जोर का तमाचा मारते हुए कहा चुप कर भगवान पर सवाल उठाता है मेरा बाप बनने की कोशिश करता है नालायक । क्या यही कारण है…….. प्रश्न न पूछने का…….. क्या आप के पास है …उस बच्चे को जवाब देने लायक कोई उत्तर…..? नहीं.....