✍राशि अपनी मेड माला के इंतज़ार में बैठी थी। घर का सारा काम पड़ा हुआ था। जैसे ही माला आयी राशि ने गुस्से में कहा- माला क्या घड़ी देखनी नहीं आती तुम्हें। कल भी देर से आई तुम और आज भी।
माला बोली- बीबी जी त्योहार का वक्त है ना। हर घर में काम बढ़ा हुआ है। इसलिए देर हो जा रही है।
ये सब तुम्हारे बहाने है, समझती हूँ मैं- राशि ने चिढ़कर कहा।
माला बिना कोई जवाब दिए काम में लग गयी।
काम खत्म करने के बाद माला ने कहा- बीबीजी आप हमें एक दिन पहले हमारा वेतन दे सकती है?
राशि ने पूछा- क्यों?
क्या करना है?
बिटिया को नए कपड़े दिलाने है। कह रही थी विद्यालय में उसकी सब सहेलियां त्योहार के कपड़े खरीद चुकी है- माला बोली।
राशि ने हैरानी से कहा- तेरी बेटी विद्यालय जाती है?
माला आँखों में चमक भरकर बोली- हाँ बीबीजी। बहुत होशियार है हमारी बिटिया। हमेशा अच्छे नम्बर लाती है। नाम रोशन करेगी हमारा।
कितने पैसे कमा लेती है तू जो बेटी के लिए इतने बड़े-बड़े सपने देख रही है- राशि ने वितृष्णा से कहा।
माला ने कहा- बीबीजी ज्यादा बड़ा नहीं लेकिन एक छोटा सा सपना देखा है कि हमारी बिटिया हमारी तरह अनपढ़ ना रहे और सम्मान के साथ जिये सर उठाकर।
राशि बोली- मेरी मान तो उसे भी अब अपने साथ काम में लगा। तेरी आमदनी भी बढ़ेगी और बोझ भी कम होगा।
बीबीजी हम भूखे सो सकते है लेकिन अपनी बिटिया को अपनी जैसी ज़िन्दगी नहीं दे सकते, ये कहते हुए माला चली गयी।
राशि का बेटा अनिकेत अपनी माँ और माला की सारी बातें सुन रहा था।
माला के जाते ही उसने तेज़ आवाज़ में गाने चला दिए।
गाने की आवाज़ सुनकर राशि अनिकेत के कमरे में पहुँची और बोली- पढ़ाई के वक्त गाने क्यों सुन रहे हो तुम?
दो दिन बाद आईएएस की परीक्षा है और तुम्हें मस्ती सूझ रही है?
अनिकेत ने कहा- मम्मा जैसे एक मेड की बेटी को हक़ नहीं कि वो पढ़-लिखकर सम्मान के साथ जिये, बड़े सपने देखे, वैसे ही एक क्लर्क के बेटे को भी ये अधिकार नहीं कि वो अधिकारी बनने के सपने देखे।
राशि बोली- तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या?
किसकी तुलना किससे कर रहे हो।
अनिकेत ने जवाब दिया- मैं एक माँ की तुलना दूसरी माँ से कर रहा हूँ मम्मा।
जिस तरह आप चाहती है मेरी ज़िंदगी मेरा ओहदा पापा से ऊँचा हो, वैसे ही माला चाची भी तो चाहती है उनकी बेटी की ज़िन्दगी उनसे अच्छी हो।
फिर वो गलत और आप सही क्यों?
अनिकेत की बात सुनकर राशि को अपनी गलती का अहसास हुआ।
उसने अनिकेत से कहा- बेटे तुमने मुझे मेरी गलती का अहसास दिलाया। मुझे गर्व है कि मैं तुम्हारी माँ हूँ।
कल माला के आते ही मैं उससे माफ़ी मांग लूँगी।
अनिकेत ने कहा- मम्मा अगर सचमुच आपको अपनी गलती का अहसास है तो आप माफ़ी माँगने के साथ-साथ माला चाची को सहयोग दीजिये उनकी बेटी के सपने पूरे करने में।
मैं ऐसा ही करूँगी बेटे, ये कहकर राशि चली गयी।
अगले दिन माला को आने में फिर देर हो गयी।
वो डरी हुई राशि के पास पहुँची और देर से आने की माफी मांगी।
राशि ने कहा- कोई बात नहीं माला। तुम जल्दी से काम कर लो मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
सारे काम खत्म करके जब माला राशि के पास पहुँची तो राशि ने उसे एक पैकेट देते हुए कहा- ये तुम्हारी बिटिया के लिए नए कपड़े है मेरी तरफ से और साथ में तुम्हारा पूरा वेतन भी।
माला हिचकिचाते हुए बोली- बीबीजी इसकी क्या जरूरत थी।
राशि ने कहा- जरूरत थी माला। इसी बहाने मैं अपना अपराध कम करना चाहती हूँ जो मैंने कल किया तुम्हारे सपनों का मज़ाक उड़ाकर।
मुझे क्षमा कर दो।
बिटिया की पढ़ाई में कमी मत करना। मैं तुम्हारी हरसंभव मदद करूँगी तुम्हारे इस सपने को पूरा करने में।
राशि की बात सुनकर माला की आँखों में आँसू आ गए।
उसने कहा- बीबीजी हमने कोई बहुत अच्छा काम किया होगा कि आप हमें मिली। हम हमेशा आपके आभारी रहेंगे।
तभी अनिकेत वहाँ आया और बोला- चाची आपको किसी का आभारी होने की जरूरत नहीं है।
हम सब एक-दूसरे पर एहसान नहीं कर रहे, बल्कि इंसान होने का अपना दायित्व निभा रहे हैं।