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तवायफ की बनवाई इस मस्जिद में 400 साल से कोई नहीं गया पर तवायफों के शौकीन बाबर के ढांचे के लिए 400 साल से जंग...

ये सवाल तो खड़ा होता ही है की आखिर ये कोई पाबंदी है या किसी प्रकार का मज़हबी नियम या फिर केवल एक जिद जो एक तवायफ की बनवाई मस्जिदमें पिछले ४०० साल से कोई भी नहीं गया लेकिन अपने हरम में कई औरतों को रखने वाले और पुरुषके साथ महिला तवायफों के शौक़ीन बाबर के एक ढाँचे के लिए पिछले ४०० साल से जंग के हालात बने हैं और उस से वो हटने के लिए भी नहीं तैयार है!

गोरखपुर एक ऐसी मस्जिद है जहां उसके ४०० साल पहले हुए निर्माण से आज तक कभी किसी एक ने भी नमाज़ नहीं पढ़ी है . इसके पीछे का मुख्य कारण ये बताया जा रहा है कि उस मस्जिद का निर्माण एक तवायफ ने करवाया था जिसके चलते उसकी मौत के बाद धीरे धीरे मरम्मत और रख रखाव के चलते वो मस्जिद अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है। उस इलाके के बुजुर्गों की माने तो मस्जिद को एक तवायफ ने तामीर करवाया था, जिसकी वजह से उसमे आज तक कभी कभी नमाज नहीं पढ़ी गई जबकि ऐसा सिर्फ तब होता है जब कोई मस्जिद सरकार केपुरातत्व विभाग के कब्जे में हो . हाजी तहव्वर हुसैन ने बताया- "इस मस्जिद को अल्लाहके सिवा कोई और देखने वाला नहीं है।

वहीँ दूसरी तरफ अयोध्या में जिस ढांचे को बाबरी बता कर विवाद खड़ा किया जा रहा है उस में नमाज़ आदि के अधिकार के साथ अब दुबारा बाबरी बनवाने के प्रयास कभी अदालत तो कभी सड़कों पर हो रहे हैं . यहाँ ये ध्यान रखने योग्य है कि जिस बाबर के नाम पर वो बाबरी थी वो बाबर एक दुर्दांत लुटेरा , बलात्कारी . हत्यारा था जिसने अनगिनत कत्ल केवल मजहबी आधार पर किये थे . इतना ही नहीं वो बाबर अय्याश और वेश्याओं का बहुत बड़ा शौकीन था जिसने अपने अय्याश्गाह हरम में कई औरतों को कैद कर के रखा था..लेकिन ये समझ के बाहर की बात है की उसके बनवाये उस ढाँचे के लिए पिछले ४०० साल से ये विवाद क्यों ? यदि वो तवायफ नापाक थी तो क्या बाबर पाक था ? या ऐसे सवालों के जवाब केवल वक्त के गर्त में रहेंगे ?