Sambhav Jain's Album: Wall Photos

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श्लोक-तस्मात् तडागे सद्वृक्षा रोप्याः श्रेयोऽर्थिना सदा ।
पुत्रवत् परिपाल्याश्च पुत्रास्ते धर्मतः स्मृताः ॥
अर्थ – इसलिए श्रेयस् यानी कल्याण की इच्छा रखने वाले मनुष्य को चाहिए कि वह तालाब के पास अच्छे-अच्छे पेड़ लगाए और उनका पुत्र की भांति पालन करे । वास्तव में धर्मानुसार वृक्षों को पुत्र ही माना गया है ।