'जूठन दूसरे की भूख की उपेक्षा हैं'
पर अस्पताल भी इस महारोग से पीड़ित हैं
अहमदाबाद के सिम्स हॉस्पिटल की भोजनशाला में लगी तख्ती का यह चित्र 24 नवम्बर 2017 का हैं।जो मानो अपने में छुपी यह पीड़ा दर्शा रहा हैं कि जूठा डालने के इस महारोग से धर्मिक-सामाजिक-मांगलिक कार्यक्रम ही नहीं वह भी ग्रस्त हैं।
सिम्स जैसे कई बड़े अस्पताल कमाई नहीं,आपकी सुविधा के मद्देनजर उसी परिसर में उचित मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराते हैं पर भाई लोग हैं जो आदत से बाज ही नहीं आते हैं।
आदतन जूठा डालने वाले भूखमरी को क्या जाने-
कूड़ादान से खाद्य सामग्री खंगालते भूखे भिखारी से अन्न का महत्व पूछों।
अफ्रीकी देश सोमालिया के दुर्भिक्ष पीड़ितों में पेट की ज्वाला शांत करने हेतु मल में से अन्न कण पाने हेतु संघर्ष होता था।यह संघर्ष अन्न के महत्व को रेखांकित करने के लिए पर्याप्त है।
परमश्रद्धेय गुरुदेव, आचार्यश्री उमेशमुनिजी अणु ने इस समस्या के सम्बंध में कितना सटीक फरमाया है-
'जूठन दूसरे की भूख की उपेक्षा हैं।'