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एक छोटा-सा पहाड़ी गांव था। वहां एक किसान,
उसकी पत्नी, एक बेटा और एक बेटी रहते थे। एक
दिन
बेटी की इच्छा स्कार्फ खरीदने की हुई और उसने
पिताजी की जेब से 10 रुपए चुरा लिए।
पिताजी को पता चला तो उन्होंने सख्ती से
दोनों बच्चों से पूछा: पैसे किसने चुराए? अगर तुम
लोगों ने सच
नहीं बताया तो सजा दोनों को मिलेगी।
बेटी डर गई। बेटे
को लगा कि दोनों को सजा मिलेगी तो सही नहीं होगा।
वह बोला : पिताजी, मैंने चुराए। पिताजी ने
उसकी पिटाई की और आगे से चोरी न करने
की हिदायत भी दी। भाई ने बहन के लिए चुपचाप
मार खा ली। वक्त बीतता गया। दोनों बच्चे बड़े
हो गए। एक दिन मां ने खुश होकर कहा :
दोनों बच्चों के रिजल्ट अच्छे आए हैं।
पिताजी (दुखी होकर) :पर मैं तो किसी एक
की पढ़ाई का ही खर्च उठा सकता हूं। बेटे ने फौरन
कहा : पिताजी, मैं आगे पढ़ना नहीं चाहता।
बेटी बोली : लड़कों को आगे जाकर घर
की जिम्मेदारी उठानी होती है, इसलिए तुम पढ़ाई
जारी रखो। मैं कॉलेज छोड़ दूंगी। अगले दिन सुबह
जब
किसान की आंख खुली तो घर में एक
चिट्ठी मिली। उसमें लिखा था - मैं घर छोड़कर
जा रहा हूं। कुछ काम कर लूंगा और आपको पैसे
भेजता रहूंगा। मेरी बहन की पढ़ाई
जारी रहनी चाहिए। एक दिन बहन हॉस्टल के कमरे में
पढ़ाई कर रही थी। तभी गेटकीपर ने आकर कहा :
आपके गांव से कोई मिलने आया है। बहन नीचे आई
तो फटे-पुराने और मैले कपड़ों में भी अपने भाई
को फौरन पहचान लिया और उससे लिपट गई। बहन :
तुमने बताया क्यों नहीं कि मेरे भाई हो। भाई : मेरे
ऐसे कपड़े देखकर तुम्हारे दोस्तों में बेइज्जती होगी।
मैं
तो तुम्हें बस एक नजर देखने आया हूं। भाई चला
गया।
बहन देखती रही। बहन की शादी शहर में एक पढ़े-
लिखे
लड़के से हो गई। बहन का पति कंपनी में डायरेक्टर
बन
गया। उसने भाई को मैनेजर का काम ऑफर किया, पर
उसने इनकार कर दिया। बहन ने नाराज होकर वजह
पूछी तो भाई बोला : मैं कम पढ़ा- लिखा होकर
भी मैनेजर बनता तो तुम्हारे पति के बारे में कैसी-
कैसी बातें उड़तीं। मुझे अच्छा नहीं लगता। भाई
की शादी गांव की एक लड़की से हो गई। इस मौके
पर किसी ने पूछा कि उसे सबसे ज्यादा प्यार
किससे है? वह बोला : अपनी बहन से, क्योंकि जब
हम
प्राइमरी स्कूल में थे तो हमें पढ़ने दो किमी दूर पैदल
जाना पड़ता था। एक बार ठंड के दिनों में मेरा एक
दस्ताना खो गया। बहन ने अपना दे दिया। जब वह
घर पहुंची तो उसका हाथ सुन्न पड़ चुका था और वह
ठंड से बुरी तरह कांप रही थी। यहां तक कि उसे
हाथ
से खाना खाने में भी दिक्कत हो रही थी। उस दिन
से मैंने ठान लिया कि अब जिंदगी भर मैं
इसका ध्यान रखूंगा।