विधायकों को इकट्ठा करके एकजुट रहने और किसी प्रलोभन में न पड़ने की संविधान की शपथ दिलाई गई और फिर उन्हें बस में पैक करके फिर से होटल में नजरबंद कर दिया गया। इतना अविश्वास कि संविधान की शपथ खा लेनेवाले विधायकों पर भी भरोसा नहीं? फिर शपथ दिलाने का नाटक क्यों? गजबे है।