*आज के दिन सन 1971 में पाकिस्तान 2000 से ज्यादा सैनिकों 45 टैंकों और 500 बख्तरबंद गाड़ियों के साथ जैसलमेर पर कब्ज़ा करने के इरादे से लोंगेवाला पोस्ट पर चढ़ आया था.*
उस वक़्त मेजर कुलदीप सिंह अपने 90 जवानों के साथ भारतीय सीमा की सुरक्षा में लगे थे. BSF के 29 जवान और लेफ्टिनेंट धर्मवीर इंटरनेशनल बॉर्डर की पेट्रोलिंग पर थे। और उन्होंने ही मेजर कुलदीप सिंह को पाकिस्तान की सेना की एक बड़ी टुकड़ी के भारत में घुस आने की सूचना दी.
हमारे 120 जवानों के पास बस दो विकल्प थे कि या तो वह सुबह एयरफोर्स के आने तक पाकिस्तानी दुश्मनों को रोकने की कोशिश करें या पोस्ट छोड़ के भाग जाएँ..
पर जिस दिन इतिहास लिखे जाते हैं उस दिन दिलेर मृत्यु के ऊपर स्वाभिमान को चुनते हैं...इस रेजीमेंट ने पहला विकल्प चुना और मेजर चांदपुरी ने यह पक्का किया कि सैनिकों और साजो समान का अच्छे से अच्छा इस्तेमाल किया जाए.
पाकिस्तान आगे बढ़ा आ रहा था , और इधर सब एकदम शांत था ।
मेजर साब ने तब तक इंतज़ार किया जब तक दुश्मन एकदम नज़दीक नही आ गया .यानी सिर्फ 100 मीटर दूर और फिर तभी भारत की एंटी टैंक गन्स गरजीं और 4 पाकिस्तानी टैंक हवा में उड़ गए.
पाकिस्तानी फ़ौज ठिठक गयी। हमला इतना अचानक और इतना तीव्र हुआ कि पाकिस्तानी हतप्रभ। उनको लगा पूरे इलाके में माइंस बिछी हैं . दुश्मन वहीं रुक गया . इधर हमारी एंटी टैंक गन्स ने दो और पाकिस्तानी टैंक फोड़ दिए तो उनपे लदे डीज़ल के बैरल धूं धूं कर जलने लगे . खूब तेज़ रोशनी हो गयी और उसमे पूरी पाकिस्तानी सेना रात के अंधेरे में भी साफ साफ दिखने लगी . सिर्फ दो घंटे में हमारे सैनिकों ने 12 Tank मार गिराए थे
मेजर चांदपुरी और उनकी बटालियन रात भर पाकिस्तानी फौज के सामने डंटे रहे. वो रात इम्तिहान की रात थी। पाकिस्तानी टैंकों की शैलिंग के थमते कुछ सुनाई दे रहा था सिर्फ ‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल" के नारे..
5 दिसंबर 1971 को सूरज की पहली किरण निकलते ही सुबह 7:03 बजे लोंगेवाला के रणक्षेत्र में एमएस बावा का विमान मंडराया। हमारी वायुसेना ने नीची उड़ान भरकर हंटर से पाकिस्तानी टी 59 टैंको को निशाना बनाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में जैसलमेर एयरफोर्स स्टेशन से तीन और हंटर ने लोंगेवाला में टैंकों पर गोले दागने शुरू किए, पाकिस्तानी सेना उल्टे पांव भाग गई। पहले ही दिन कुल 18 टैंक नेस्तनाबूद हो गए। सूर्यास्त होने के बाद वायुसेना लौट गई, लेकिन अगले दिन 6 दिसंबर को हंटर ने फिर कहर बरपाना शुरू किया और पूरी ब्रिगेड व दो रेजीमेंट का सफाया कर दिया।
इस युद्ध में भारत के 2 सैनिक शहीद हुए जबकि पाकिस्तान के 200 सैनिक मारे गए 600 से ज्यादा घायल हुए और उनके 36 टैंक तबाह हो गए.
इस चौकी पर कब्जा जमाने के प्रयास में दो दिन में पाकिस्तान सेना को अपने 36 टैंक, पांच सौ वाहन और दो-सौ जवानों से हाथ धोना पड़ा। इसके बावजूद चौकी पर कब्जा नहीं हो सका।
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दुनिया में यह पहला अवसर था जब किसी सेना ने एक रात में इतनी बड़ी संख्या में अपने टैंक गंवाए हों।
दुश्मन इतनी बड़ी फौज के साथ आया लेकिन वह 120 शेरों के बीच फंस गया..
जब भी लोंगेवाला जाएँ..वहाँ एक पत्थर पर लिखा है..
इतनी सी बात हवाओं को बताए रखना, रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना..
लहु देकर की जिसकी हिफाजत हमने, ऐसे तिरंगे को सदा अपनी आँखों मे बसाए रखना...
और साथ ही हैं वहाँ तनोट माँ का मन्दिर, जिसने अपनी कृपा 1965 और 1971 के युद्ध में अपने बहादुर बेटों पर बनाये रखी.