गाडिया लुहार एक घुमंतु जाती है। आजादी के बाद ये निरंतर उपेक्षित रही। न घर बार या धन संपत्ति। कोरोना आपदा मे संघ के लोग सहायता के लिये पहुचे तो इन्होने सहायता लेने से मना ही नही किया उपरांत 51 हजार रुपये अन्य लोगो की मदद के लिये दान मे भी दिये। ये है समाज देश के लिये सच्चा समर्पण!