मुसलमान पहले मुसलमान हैं, संविधान उनके लिए बाद में है
डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) के अवसर पर उनके जीवन से जुड़े कुछ अनछुए प्रसंगों को बताने का प्रयास किया है। ये प्रसंग “डॉ. बाबासाहब आंबेडकर राइटिंग्स एंड स्पीचेज”, “पाकिस्तान ऑर पार्टीशन ऑफ इंडिया”, “द सेलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ डॉ. बी. आर. आंबेडकर”, “द डिक्लाइन एंड फॉल ऑफ़ बुद्धिज़्म” आदि पुस्तकों से लिए गए हैं
डॉ. आंबेडकर ने उन कारणों की विशद् चर्चा की है जिनके कारण कुछ मुसलमानों के उग्र व्यवहार और राजनीतिक आक्रामकता को बढ़ावा मिलता है। वे लिखते हैं,''मुसलमानों का दिमाग किस तरह काम करता है और किन कारणों से यह प्रभावित होता है, यह तब स्पष्ट होगा जब हम इस्लाम के उन बुनियादी सिद्धांतों को, जो मुस्लिम राजनीति पर हावी हैं और मुसलमानों द्वारा भारतीय राजनीति में पैदा किए गए मसलों को भी ध्यानपूर्वक देखेंगे। अन्य सभी सिद्धांतों और उसूलों के साथ इस्लाम का यह सबसे बड़ा उसूल है कि यदि कोई देश मुस्लिम शासन के अधीन नहीं है, जहां कहीं भी यदि चाहे मुस्लिम कानून और उस सरजमीं के कानून के बीच संघर्ष हो तो मुसलमानों को जमीन या देश के कानून की खिलाफत कर अपने मजहब अर्थात् मुस्लिम कानून का पालन करना चाहिए।''