*ईश्वर ने संसार की रचना की और मनुष्य ने अपने विचार और कर्मों से दुःख और सुख की रचना की..!!*
*जीवन का उद्देश्य उसी चेतना को जानना है - जो जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है*
*जिसने स्वयं को, उस आत्मा को जान लिया - वह जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त है..!!*
*लालच, स्वार्थ और भय ही संसार के दुःख का मुख्य कारण हैं..!!*
*हर क्रिया, हर कार्य का एक परिणाम है परिणाम अच्छा भी हो सकता है, बुरा भी हो सकता है यह परिणाम ही भाग्य है तथा आज का प्रयत्न ही कल का भाग्य है*
*कारण के बिना कार्य नहीं। यह संसार उस कारण के अस्तित्व का प्रमाण है। तुम हो, इसलिए वे भी है - उस महान कारण को ही आध्यात्म में 'ईश्वर' कहा गया है। वह न स्त्री है और ना ही पुरुष..!!*