जय माँ
गुरूर्ब्रहमा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवों महेश्वरह ।
--- यह बात भी चरितार्थ होती हैं , क्योकि जब गुरु अपने शिष्य के अन्यथाभान रूपी अज्ञान का निवारण करता हैं तब वह संहार या रुद्र का काम करता हैं । प्रामादिक ज्ञान को काटते हुये , साथ साथ जब वह शिष्य के मन मे जो यथार्थ ज्ञान हैं उसकी रक्षा करता हैं तब वह पालन या विष्णु का काम करता हैं , और जब अज्ञान को हटाते हुये और ज्ञान की रक्षा करते हुये वह नयी बातों को सिखाता हैं तब वह सृष्टि या ब्रह्मा का काम करता हैं । ।