आलम्बे जगदालम्बं
हेरम्बचरणाम्बुजम् ।
शुष्यन्ति यद्रज:स्पर्शात्
सद्य: प्रत्यूहवार्धय: ।।
अर्थ-
'जगत् को आश्रय देने वाले श्रीगणेशजीके चरण-कमल का मैं आश्रय लेता हूँ,जिसकी रज के स्पर्शसे विघ्नों के समुद्र तत्काल सूख जाते हैं।'
प्रथम पूज्य भगवान् श्री गणेशजी की कृपा से आपका दिन मङ्गलमय हो