प्रयाग कूले यमुना तटे वा,
सरस्वती पुण्य जले गुहायाम ।
यो योगिनां ध्याना गतोSपि सूक्ष्म,
तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय ।।
( श्री शनिस्तोत्रम -6)
अर्थ-
'प्रयाग में यमुना अथवा सरस्वती के पुण्य जल में जिनका निवास है,घर है,जो योगी के ध्यान की गति से भी सूक्ष्म हैं,जो सभी तीर्थों और योगियों में निवास करते हैं मैं उन सूर्यपुत्र को नमस्कार करता हूँ।'
भगवान् श्री शनिदेव की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो