shashikant pandey's Album: Wall Photos

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||रुद्राभिषेक ||

शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं।
शिव को ही रुद्र कहा जाता है

क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:
यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं।

हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं।

रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है।

रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे में कहा गया है कि-सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:
अर्थात् :-
सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र उपस्थित हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।

हमारे शास्त्रों में विविध कामनाओं की पूर्ति के लिए रुद्राभिषेक के पूजन के निमित्त अनेक द्रव्यों तथा पूजन सामग्री को बताया गया है।

साधक रुद्राभिषेक पूजन विभिन्न विधि से तथा विविध मनोरथ को लेकर करते हैं।

किसी खास मनोरथ कीपूर्ति के लिये तदनुसार पूजन सामग्री तथा विधि से रुद्राभिषेक की जाती है।

रुद्राभिषेक के विभिन्न पूजन के लाभ इस प्रकार हैं-

• जल से अभिषेक करने पर वर्षा होती है।

• असाध्य रोगों को शांत करने के लिए कुशोदक से रुद्राभिषेक करें।

• भवन-वाहन के लिए दही से रुद्राभिषेक करें।

• लक्ष्मी प्राप्ति के लिये गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।

• धन-वृद्धि के लिए शहद एवं घी से अभिषेक करें।

• तीर्थ के जल से अभिषेक करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है।

• इत्र मिले जल से अभिषेक करने से बीमारी नष्ट होती है ।

• पुत्र प्राप्ति के लिए दुग्ध से और यदि संतान उत्पन्न होकर मृत पैदा हो तो गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।

• रुद्राभिषेक से योग्य तथा विद्वान संतान की प्राप्ति होती है।

• ज्वर की शांति हेतु शीतल जल/गंगाजल से रुद्राभिषेक करें।

• सहस्रनाम-मंत्रों का उच्चारण करते हुए घृत की धारा से रुद्राभिषेक करने पर वंश का विस्तार होता है।

• प्रमेह रोग की शांति भी दुग्धाभिषेक से हो जातीहै।

• शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने पर जडबुद्धि वाला भी विद्वान हो जाता है।

• सरसों के तेल से अभिषेक करने पर शत्रु पराजित होता है।

• शहद के द्वारा अभिषेक करने पर यक्ष्मा (तपेदिक) दूर हो जाती है।

• पातकों को नष्ट करने की कामना होने पर भी शहद से रुद्राभिषेक करें।

• गो दुग्ध से तथा शुद्ध घी द्वारा अभिषेक करने से आरोग्यता प्राप्त होती है।

• पुत्र की कामनावाले व्यक्ति शक्कर मिश्रित जल से अभिषेक करें।ऐसे तो अभिषेक साधारण रूप से जल से ही होता है।

विशेष पूजा में दूध, दही, घृत, शहद और चीनी से अलग-अलग अथवा सब को मिला कर पंचामृत से अभिषेक किया जाता है।

तंत्रों में रोग निवारण हेतु अन्य विभिन्न वस्तुओं से भी अभिषेक करने का विधान है।

इस प्रकार विविध द्रव्यों से शिवलिंग का विधिवत् अभिषेक करने पर अभीष्ट कामना की पूर्ति होती है।

इसमें कोई संदेह नहीं कि किसी भी पुराने नियमित रूप से पूजे जाने वाले शिवलिंग का अभिषेक बहुत हीउत्तम फल देता है।

किन्तु यदि पारद के शिवलिंग काअभिषेक किया जाय तो बहुत ही शीघ्र चमत्कारिक शुभ परिणाम मिलता है।

रुद्राभिषेक का फल बहुत ही शीघ्र प्राप्त होता है।

वेदों में विद्वानों ने इसकी भूरि भूरि प्रशंसा की गयी है।

पुराणों में तो इससे सम्बंधित अनेक कथाओं का विवरण प्राप्त होता है।

वेदों और पुराणों में रुद्राभिषेक के बारे में तो बताया गया है कि रावण ने अपने दसों सिरों को काट कर उसके रक्त से शिवलिंग का अभिषेक किया था तथा सिरों को हवन की अग्नि को अर्पित कर दिया था।

जिससे वो त्रिलोकजयी हो गया।

भष्मासुर ने शिव लिंग का अभिषेक अपनी आंखों के आंसुओ से किया तो वह भी भगवान के वरदान का पात्र बन गया !

Om Namah Shivaya ~ Shubh Somvaar