देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद
प्रसीद मातर्जगतोSखिलस्य ।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं
त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ।।
(श्री दुर्गाशप्तशती 11/3)
अर्थ-
' शरणागतकी पीडा़ दूर करनेवाली देवि! हम पर प्रसन्न होओ।सम्पूर्ण जगत की माता!प्रसन्न होओ। विश्व की रक्षा करो। देवि! तुम्ही चराचर जगत की अधीश्वरी हो।'
माँ भगवती की कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो