(ऊँ) नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ।।
कल्याण एवं सुखके मूल स्त्रोत भगवान् शिव को नमस्कार है। कल्याणके विस्तार करनेवाले तथा सुखके विस्तार करने वाले भगवान् शिवको नमस्कार है। मङ्गलस्वरूप और मङ्गलमयताकी सीमा भगवान शिवको नमस्कार है।
(ऊँ) ईशान: सर्वविद्यानामीश्वर: सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोSधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम् ।।
जो सम्पूर्ण विद्याओंके ईश्वर,समस्त भूतो के अधीश्वर,ब्रह्म-वेदके अधिपति,ब्रह्म-बल-वीर्यके प्रतिपालक तथा साक्षात् ब्रह्मा एवं परमात्मा हैं,वे सच्चिदानंदमय नित्य कल्याणरूप शिव मेरे बने रहें।
(ऊँ)तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र:प्रचोदयात्।
तत्पदार्थ- परमेश्वररूप अन्तर्यामी पुरुषको हम जानें,उन महादेवका चिंतन करें,वे भगवान् रूद्र हमें सद्धर्मके लिए प्रेरित करें।
देवाधिदेव महादेवकी कृपासे आपका दिन मङ्गलमय हो